अगर जल्द एयरपोर्ट ऑपरेटर और केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बलों (सीआईएसएफ) के बीच लंबे समय से जारी भुगतान विवाद का समाधान नहीं होता है तो दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहेगी। हिन्दुस्तान टाइम्स ने पूरे मामले से वाकिफ सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है।
जुलाई के पहले हफ्ते में, केन्द्रीय गृह सचिव ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को लिखते हुए कहा है कि अगर भुगतान में तेजी नहीं लायी जाती है तो गृह मंत्रालय के पास सुरक्षा वापस लेने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। पत्र के मुताबिक, सबसे पहले सुरक्षा वापसी की शुरुआत कार्गो टर्मिनल से की जाएगी।
अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डीआईएएल) का करीब 600 करोड़ रूपये सीआईएसएफ का बकाया है।
यह पैसे लगातार बढ़ता गया और जिसके बाद इस बात को लेकर विवाद है कि आखिर कितना अर्धसैनिक बलों को भुगतान किया जाए और यह विवाद कभी सुलझाया नहीं जा सका। सीआईएसएफ की तरफ से लगातार यह दावे किए गए कि डीआईएए पूरे पैसे भुगतान की जगह उसे किश्तों में भुगतान कर रहा है। सीआईएसएफ की तरफ से यह दावा किया गया है कि वार्षिक सुरक्षा बिल के नाम पर डीआईएएल ने 100 करोड़ रूपये से भी कम का भुगतान किया है।
एयरपोर्ट के प्रतिनिधियों ने इसके लिए बढ़ती लागत को जिम्मेदार ठहराया है। ऑपरेटर के प्रवक्ता ने बताया- दिल्ली एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया पैंसेजर से सुरक्षा फीस 10 साल पहले हुए तय के आधार पर ली जा रही है।
सारा कलेक्शन का पैसा एस्क्रू एकाउंट के जरिए आता है जो सीएजी ऑडिट का विषय है। ऐसे में सुरक्षा के नाम पर समय के हिसाब से बढ़ते खर्च के चलते यह फासला बढ़ा है। हालांकि, उन्होंने बताया कि कंपनी सीआईएसएफ और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से लगातार बातचीत कर