ओडिशा के पुरी से 141 रथ यात्रा आज से शुरू हो रही है। आषाढ मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यह यात्रा निकलती है। ओडिशा के पुरी और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा की भव्य रथयात्रा निकलती है।
संस्कृत में जगन्नाथ का अर्थ है जग यानी दुनिया और नाथ का अर्थ है भगवान। भगवान जगन्नाथ यानी कृष्ण भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं, जो 16 कलाओं से परिपूर्ण हैं।
रथ यात्रा कई पारंपरिक वाद्ययंत्रों की आवाज के बीच बड़े-बड़े रथों को सैकड़ों लोग मोटे-मोटे रस्सों की मदद से खींचते हैं। सबसे पहले बलभद्र जी का रथ प्रस्थान करता, इसके बाद बहन सुभद्रा जी का रथ चलना शुरू होता है और सबसे आखिर में जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकलती है।
यह रथ यात्रा गुंडिचा मंदिर जाकर संपन्न मानी जाती है। कहा जाता है कि गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है। यह वही मंदिर’ है, जहां विश्वकर्मा ने तीनों देव प्रतिमाओं का निर्माण किया था। यह कहा जाता है कि पुरी में भगवान जगन्नाथ शहर में घूमने के लिए निकलते हैं।
पुराणों में जगन्नाथ धाम की काफी महिमा है, इसे धरती का बैकुंठ भी कहा गया है। यह हिन्दू धर्म के पवित्र चार धाम बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी में से एक है।
यह उत्सव नौ दिनों तक चलता है। कहा जाता है कि 9 दिन पूरे होने के बाद भगवान जगन्नाथ, जगन्नाथ मंदिर में विराजते हैं।
जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा सबसे दाई तरफ स्थित है। बीच में उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमा है और दाई तरफ उनके बड़े भाई बलभद्र (बलराम) विराजते हैं। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।