बिहार में लोकसभा चुनावों में एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा ने अपने सहयोगी दलों की शंकाओं का समाधान कर लिया है। जदयू ने बीते लोकसभा चुनाव में भले ही दो लोकसभा सीटें जीती हों, लेकिन इस बार एनडीए में उसकी सीटों की हिस्सेदारी लगभग एक दर्जन सीटों की होगी। भाजपा, लोजपा व रालोसपा को अपनी सीटें कम करनी पड़ेंगी। गठबंधन को मजबूत करने को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सभी सहयोगी दलों के नेताओं के साथ मुलाकात कर चुके हैं। शाह के हाल के पटना दौरे के बाद भाजपा व जदयू के बीच अटकलें भी थम गई हैं। शाह ने साफ कर दिया है कि एनडीए एकजुट होकर चुनाव लड़ेगा। जदयू को छोड़ उसके अन्य सहयोगी दलों ने साथ पिछला चुनाव लड़ा था, इसलिए उनके साथ सीटों के बंटवारे को लेकर समस्या नहीं है।
जदयू के लिए नए सिरे से तय होंगी सीटें
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि जदयू के साथ भाजपा के पुराने (2013 के पहले के) गठबंधन व राज्य के सामाजिक समीकणों को ध्यान में रखने हुए सीटों का फैसला किया जाएगा। इस पर जदयू भी सहमत है। भाजपा ने जदयू को यह भी साफ कर दिया है कि उसे पिछले गठबंधन के अनुपात में तो सीटें नहीं मिलेंगी, लेकिन पर्याप्त सीटें दी जाएंगी।
12 सीटें मिलने की उम्मीद
अभी मोटे तौर पर जदयू को एक दर्जन सीटें मिलेंगी, लेकिन चुनाव के पहले के राजनीतिक व सामाजिक समीकरणों में इनकी संख्या बढ़ भी सकती है। शाह ने कहा कि जदयू बाद में एनडीए में आया है और बिहार में विस चुनावों में मिली सफलता के बाद वह भाजपा के साथ आने पर सरकार का नेतृत्व कर रहा है।
भाजपा, लोजपा व रालोसपा की घट सकती हैं कुछ सीटें
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 40 सीटों में से भाजपा ने 22 और उसके सहयोगी दलों लोजपा ने छह व रालोसपा ने तीन सीटें जीती थीं। नौ सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। सामाजिक समीकरणों के अनुसार भाजपा की जीती कुछ सीटें जद (यू) के पास जा सकती हैं और पिछली बार हारी कुछ सीटें भाजपा फिर से लड़ सकती है। लोजपा व रालोसपा की भी कुछ सीटें कम हो सकती है।