पहली बार इंसान का 3D रंगीन एक्सरे उतारा

पहली बार इंसान का 3D रंगीन एक्सरे उतारा

न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने पहली बार एक इंसान का 3डी रंगीन एक्स-रे उतारकर दिखाया है। इस इमेजिंग तकनीक से चिकित्सकीय निदान के क्षेत्र में काफी मदद मिलने की उम्मीद है। यूरोप के सीईआरएन भौतिकी प्रयोगशाला ने यह जानकारी दी, जिसने इस तकनीक के विकास में अहम योगदान दिया है।

यह नया उपकरण पारंपरिक श्वेत-श्याम एक्सरे तकनीक पर आधारित है, जिसमें शोधकर्ताओं ने कणों की निगरानी करने वाली एक विशेष तकनीक को जोड़ा। यह विशेष तकनीक सीईआरएन के महामशीन (लार्ज हेडेन कोलाइडर) के निए विकसित की गई थी, जिसने 2012 में हिग्स बोसन कण की खोज की थी।

सीईआरएन ने एक बयान में कहा, रंगीन एक्सरे इमेजिंग तकनीक स्पष्ट और अधिक सटीक तस्वीर मुहैया कराएगी, जिससे डॉक्टर मरीजों की समस्या की एकदम सटीक पहचान कर सकेंगे। सीईआरएन ने इस तकनीक को मेडिपिक्स नाम दिया है। यह किसी कैमरा की तरह काम करती है। जब कैमरे का शटर खुलता है तब अलग-अलग उप-परमाणु कण पिक्सल के साथ टकराते हैं और यह तकनीक यह हरेक उप-परमाणु कणों की गिनती और खोज करती है। इससे उच्च-रिजॉल्यूशन वाली तस्वीर तैयार होती है।

सीईआरएन ने कहा, इस तकनीक से बनी तस्वीरें हड्डियों, मांसपेशियों और उपास्थियों के बीच अंतर को काफी स्पष्ट ढंग से दिखाती हैं। ये कैंसरकारी ट्यूमर की स्थति और आकार को भी सटीक तरीके से दिखाती हैं।  न्यूजीलैंड कंपनी मार्स बायोइमेजिंग इस तकनीक का व्यावसायीकरण कर रही है। यह कंपनी ओटागो और कैंटरबरी विश्वविद्यालयों से जुड़ी हुई है, जिसने इसे विकसित करने में मदद की।

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