गुप्त नवरात्र को दस महाविद्याओं की उपासना का पर्व कहा जाता है। इन व्रत को जितना गोपनीय विधि से किया जाए उतना ही अधिक सिद्धि की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्र में मन की इच्छा को अपने तक रखें। रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधना काल नहीं है।
वर्ष में दो बार मां के नवरात्र आते हैं। इसी तरह हर साल दो बार गुप्त नवरात्र भी मनाए जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास में शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्र आते हैं। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाती है। इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्र आध्यात्मिक बल प्रदान करते हैं। इन नौ दिनों में दुर्गा सप्तशति का पाठ करना चाहिए। गुप्त नवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान के विधान बताए जाते हैं। गुप्त नवरात्रों को सफलतापूर्वक संपन्न करने से कई बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस दौरान मां बगुलामुखी की विशेष आराधना की जाती है।