माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की 21 जुलाई को होने वाली बैठक में जीएसटी के वार्षिक रिटर्न और ऑडिट फार्म को मंजूरी दिए जाने की उम्मीद है। उद्योग जगत को उम्मीद है कि इसका वार्षिक आयकर रिटर्न के साथ भी मिलान किया जा सकता है क्योंकि सरकार कर चोरी रोकने के लक्ष्य को लेकर चल रही है।
जीएसटी को पिछले साल एक जुलाई को लागू किया गया था और यह पहला साल है जब व्यापार जगत अपना पहला वार्षिक जीएसटी रिटर्न (जीएसटीआर -9) दाखिल करेगा। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए यह रिटर्न 31 दिसंबर 2021 तक दाखिल करना है। इसी के साथ जिन व्यावसायियों का वार्षिक कारोबार (टर्नओवर) दो करोड़ रुपये से अधिक है उन्हें अपने वार्षिक रिटर्न के साथ ऑडिट रपट भी दाखिल करनी होगी।
राजस्व अधिकारियों ने वार्षिक रिटर्न फॉर्म का खाका तैयार किया है। इस पर 21 जुलाई को जीएसटी परिषद की बैठक में चर्चा होगी। केन्द्रीय वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद जीएसटी से संबद्ध निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।
परिषद से अनुमति मिलने के बाद इस नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए प्रौद्योगिकी ढांचा उपलब्ध कराने वाले जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) सॉफ्टवेयर को इसके हिसाब से तैयार कर व्यापारियों को रिटर्न भरने में समर्थ बनाएगा।
कर विशेषज्ञों की राय में सरकार इसे पूर्ववर्ती मूल्यवर्द्धित कर (वैट) प्रशासन की तर्ज पर बनाया जा सकता है। साथ ही इसमें कुछ खंड इसे आयकर रिटर्न से जोड़ने और ऑडिट रपट दाखिल करने के लिए जोड़ सकते हैं। उम्मीद है कि यह फॉर्म अक्तूबर तक ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएगा ताकि दिसंबर अंत तक रिटर्न दाखिल किए जा सकें।
डेलॉइट इंडिया में सहयोगी एम . एस . मणि ने कहा कि जीएसटी का मुख्य लक्ष्य कर संग्रहण का दायरा बढ़ाना है। ऐसे में उम्मीद है कि जीएसटी के वार्षिक रिटर्न में वैट प्रणाली में शामिल कुछ बातों के अलावा वार्षिक लेखाजोखा और आयकर की कुछ जानकारी देने को कह जाये ।
उन्हें उम्मीद है कि वैट प्रशासन के दौरान सालाना रिटर्न के आधार पर आकलन किया जाता रहा है और जीएसटी प्रशासन में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कारोबारियों ने मासिक रिटर्न में हो सकता है कोई गलती की है, सालाना रिटर्न में यह ठीक हो सकती है और इसलिये आकलनन सालाना रिटर्न के आधार पर होना चाहिये।