आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को योगिनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। यह व्रत मुक्ति प्रदान करने वाला है। यह एकादशी तीनों लोक में प्रसिद्ध है। इस व्रत के प्रभाव से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस शुभ दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है।
इस एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से समस्त पाप दूर हो जाते हैं। योगिनी एकादशी व्रत की कथा श्रवण का फल अट्ठासी सहस्त्र ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान माना गया है। यह व्रत दशमी तिथि की रात्रि से आरंभ होकर द्वादशी तिथि के प्रात: काल में दान के पश्चात समाप्त होता है। दशमी तिथि की रात्रि से ही जौ, गेहूं और मूंग की दाल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। दशमी तिथि की रात्रि से ही नमक युक्त भोजन नहीं करना चाहिए। इस व्रत में दान देना कल्याणकारी माना जाता है। व्रत की रात्रि में जागरण करना चाहिए।