बल्लियों के सहारे स्कूल जाने को मजबूर हैं बच्चे, 2013 की आपदा में टूटा था पुल

बल्लियों के सहारे स्कूल जाने को मजबूर हैं बच्चे, 2013 की आपदा में टूटा था पुल

चमोली जिले में उर्गम घाटी के गांवों में स्कूली बच्चों को विद्यालय जाने में खासी परेशानी का सामना करना पड रहा है। खास कर बरसात के दिनों में यह स्थिति और भी विकट हो जाती है। कई स्कूल ऐसे हैं जहां रास्ते, पुलिया टूटी हैं। बच्चे बल्लियों से बने  काम चलाऊ पुल के सहारे स्कूल जाने पर मजबूर हैं। उर्गम घाटी की कल्प नदी पर बना पुल 2013 की आपदा से टूट गया था। यह पुल उर्गम घाटी के क ई गांवों को जोडता था।  क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता रघुवीर सिंह बताते हैं कि 2013 की आपदा में क्षतिग्रस्त हुआ पुल अभी तक पूर्ण रूप से नहीं बन पाया है। परिणाम स्वरूप मजबूरी में गांव के लोग कल्प नदी पर बल्लियां डाल कर किसी तरह आ जा रहे हैं। वे बताते हैं कि गीरा, बांसा देवग्राम जैसे क ई गांवों के बच्चे इन्ही बल्लियों से बने अस्थायी पुल से स्कूल आ जा रहे हैं। कहने को तो उस वक्त ट्राली भी लगाई गई। पर कुछ दिन अस्थायी काम करने के बाद वह भी ठप्प हो गयी।

बता दें कि हमारे सहयोगी अखबार ‘हिंदुस्तान’ ने उर्गम घाटी की इस तरह की त्रासदी को प्रमुखता से खबर बनायी थी। समाजिक सरोकारों से जुडे संजय भंडारी कहते हैं कि इन गांवों के बच्चों और ग्रामीणों की स्थिति को और वेदना को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए। जिले में अन्य कई गांवो के स्कूलों के गांवो की कमोबेश यही स्थिति है। बरसात आने पर कहीँ रास्ते टूट जाते हैं कहीं गधेरे उफान पर आ जाते हैं तो कहीं भूस्खलन का खतरा बनता है। लिहाजा  प्रशासन को परिस्थितियों को देखते हुये स्कूलों के अवकाश का निर्णय लेना पडता है।

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