दुनियाभर में न जाने कितने ही त्योहार मनाए जाते हैं। लेकिन इंडोनेशिया का एक पारंपरिक त्योहार याडन्या कसादा सचमुच अनोखा त्योहार है। इसमें ज्वालामुखी में कुछ खास चीजों को फेंकने की परंपरा है। यह त्योहार वहां की स्थानीय हिंटरलैंड्स और टैंगर आदिवासी समुदाय खासतौर पर मनाते हैं। यह त्योहार स्थानीय कसादा महीने के 14वें दिन मनाया जाता है। बीते रविवार को इसमें शामिल होने के लिए हजारों लोग मौजूद रहे।
ऐसे मनाते हैं त्योहार
हर साल की तरह यहां स्थित ब्रोमो पर्वत पर स्थानीय लोग और पर्यटक इस धार्मिक त्योहार को मनाने के लिए जमा होते हैं। इस त्योहार में यहां एक ज्वालामुखी है। धुआं उठते हुए इस ज्वालामुखी के मुंह में सब मिलकर फल, सब्जी, फूल और यहां तक की बकरे और चिकन को फेंकते हैं।
नृत्य का भी होता है आयोजन
धुआं उठते या दहकते ज्वालामुखी में चीजों को फेंकने की प्रक्रिया से पहले स्थानीय महिलाएं और पुरुष वहां की पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं और साथ में मिलकर नृत्य करते हैं। यह उसी ज्वालामुखी के पास ही होता है।
15वी शताब्दी से मनाया जा रहा है त्योहार
इंडोनेशिया के इस पारंपरिक और धार्मिक त्योहार को 15वीं शताब्दी से ही मनाया जाता है। एक महीने तक चलने वाले इस त्योहार का संबंध उस समय के माजापहित साम्राज्य की राजकुमारी रोरो एंटेंग और उनके पति जोको सेगर से है। मान्यता है कि दोनों की शादी के बाद भी इनको संतान नहीं हो पा रहा था। दोनों ने ईश्वर से इसकी प्रार्थना की थी।