खुद में खोए रहने वाले बच्चों का इलाज करेगा विशेष रोबोट

खुद में खोए रहने वाले बच्चों का इलाज करेगा विशेष रोबोट

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा गहन अध्ययन करने वाला नेटवर्क विकसित किया है जिसे रोबोट से जोड़ा जा सकता है। इससे जुड़ा रोबोट खुद में खोए रहने वाले बच्चों से उपलब्ध डाटा के आधार पर बातचीत कर उन्हें समझने की कोशिश करेगा।

खुद में खोए रहने की बीमारी एक मानसिक स्थिति है जो दिमाग के विकास से संबंधित है। इसमें इंसान की समझ और उसकी प्रतिक्रिया देने की क्षमता प्रभावित होती है।

गहन अध्ययन से जुड़े बच्चों के रोबोट एनएओ प्रत्यके बच्चे की हरकत और उसकी रुचि का आकलन करते हैं। यह अध्ययन ऐसे 35 बच्चों पर किया गया है। गहन अध्ययन करने वाले इस नेटवर्क के विकास से ऐसे बच्चों की जिंदगी और आसान हो सकती है।

इस अध्ययन से जुड़े एक वैज्ञानिक ऑगी रुडोविक कहते हैं कि हालांकि इसके विकास करने का यह उद्देश्य नहीं है कि मानव चिकित्सक की भूमिका खत्म हो जाएगी और इनकी जगह रोबोट ले लेंगे। इनका उद्देश्य बच्चों को बड़ी सूचनाओं से रूबरू कराना है, ताकि चिकित्सक को बच्चों और रोबोट के बीच बातचीत में सक्रिय रखने में मदद मिले। वैज्ञानिकों के अनुसार अध्ययन में बच्चों की जवाबी प्रतिक्रियाओं को लेकर रोबोट के अनुभव और चिकित्सकों के आकलन मेल खा रहे थे। इसमें करीब 60 प्रतिशत समानता थी।

रोबोट की मदद से बच्चों के ऐसे इलाज में मानव चिकित्सकों की तरफ से किए जाने वाले प्रयोग जैसे चेहरे के अलग हाव-भाव, भावनात्मकता, खुशी, नाराजगी, डर आदि को शामिल किया गया। चिकित्सकों ने पाया कि कैसे बच्चा रोबोट के साथ मशगूल हो जाता है यह सीखता है कि आगे कैसे क्या किया जाए। एनएओ दो फीट का एक लंबा रोबोट है।

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