तिब्बत में तैनात चीनी सेना ने हिमालय के दूरस्थ क्षेत्र में हथियारों की क्षमताओं और सैन्य-नागरिक सहयोग को परखने के लिए युद्धाभ्यास किया है। भारत के साथ पिछले साल 73 दिनों तक चले डोकाला गतिरोध के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का तिब्बत में इस तरह का पहला अभ्यास है।.
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने बताया पीएलए ने पिछले साल अगस्त में 4,600 मीटर की ऊंचाई पर 13 घंटे तक अभ्यास किया था। रिपोर्ट में बताया गया कि विश्लेषकों ने मंगलवार को हुए युद्धाभ्यास की प्रशंसा करते हुए इसे सैन्य-नागरिक सहयोग की ओर महत्वपूर्ण कदम बताया। साथ ही नए युग में मजबूत सेना का निर्माण करने के देश के लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति बताया। यह अभ्यास स्थानीय कंपनियों और सरकार के सहयोग से किया गया। .
दलाई लामा की विरासत के चलते अहम : अभ्यास की मुख्य बात सैन्य-नागरिक सहयोग की रणनीति है जो तिब्बत में अहम बात है। क्योंकि यहां दलाई लामा की विरासत अब भी कायम है। तिब्बत के पठार में विषम जलवायु है व उसकी भौगोलिक स्थिति भी जटिल है। लंबे समय से वहां सैनिकों को साजोसामान और हथियार सहयोग मुहैया कराना बहुत मुश्किल है।
कमांड लॉजिस्टिक सपोर्ट डिपार्टमेंट के प्रमुख झांग वेनलोंग ने कहा कि विषम परिस्थितियों में सैनिकों के बचे रहने, आपूर्ति, बचाव, और सड़क सुरक्षा में परेशानियों को हल करने के लिए सैन्य-नागरिक सहयोग की रणनीति अपनाई है। सैन्य अभ्यास के दौरान एक स्थानीय पेट्रोलियम कंपनी ने हथियारबंद यूनिट का ईंधन खत्म होने पर तत्काल आपूर्ति की। साथ ही ल्हासा सरकार ने एक दिन के युद्धाभ्यास के बाद सैनिकों के लिए खाने की पूरी व्यवस्था की। .