काबेर्टोसिन दवा का नया फार्मूला प्रसव के बाद अधिक मात्रा में खून को बहने से रोकने के लिए प्रभावी व सुरक्षित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है इससे हजारों महिलाओं की जिंदगी बचाई जा सकती है।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 10 देशों में हुए नैदानिक परीक्षण में यह बात सामने आई है। इन देशों में भारत भी शामिल है। वर्तमान में डब्ल्यूएचओ बच्चे के जन्म के बाद अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने के लिए पहली पसंद के तौर पर ऑक्सीटोसिन की सिफारिश करता है।
हालांकि, ऑक्सीटोसिन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस पर स्टोर और ट्रांसपोर्ट किया जाना चाहिए। मगर, ऐसा करना बहुत से देशों में मुश्किल है। यही वजह है कि दुनिया के कई क्ष्ोत्रों में बहुत सी महिलाओं तक यह दवा नहीं पहुंच पाती है। गर्म तापमान के संपर्क में आने पर इस दवा का असर बेहद कम हो जाता है।
यह शोध न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में हाल ही में प्रकाशित किया गया है। इससे पता चलता है कि काबेर्टोसिन का गर्मी रोधी फार्मूला से ऑक्सीटोसिन की तरह प्रसव के बाद रक्तस्राव को रोकने में सुरक्षित है।
काबेर्टोसिन के नए फार्मूला को ठंडा रखने की जरूरत नहीं होती और इसका प्रभाव कम से कम तीन साल तक 30 डिग्री सेल्सियस व 75 फीसदी की सापेक्ष आर्द्रता के साथ बरकरार रहता है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेडरोस एडहानोम गेबेरियस ने कहा कि यह बड़ी सफलता है। इससे मां और बच्चों को जिंदा रखने की क्षमता में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।