बरखा कै दिन रहा, चारिव कैती पानी बरसत रहा….बरसात के दिना हते, गेरऊं पानी बरस रओ तो… यानी बरसात का दिन था, चारों ओर पानी बरस रहा था। अर्थ एक, लेकिन बोली-भाषा अलग। बच्चों के लिए समझना आसान हो, इसके लिए सरकारी स्कूलों में अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की देसज बोली-भाषा में हिंदी पढ़ाई जाएगी। एनसीईआरटी ने इसकी तैयारी कर ली है।
अपनी बोली में बच्चे ज्यादा बेहतर तरीके से सीख पाते हैं। इसलिए कक्षा एक और दो की हिन्दी की किताब ‘कलरव’ को अवधी… बुंदेलखण्डी, ब्रज, भोजपुरी जैसी बोलियों में अनुवाद किया जा रहा है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) इन किताबों को तैयार कर रही है। अवधी भाषा की किताब की डिजिटल और ऑडियो कॉपी आ चुकी है। वहीं बुंदेलखण्डी, भोजपुरी व ब्रज में भी किताबों का अनुवाद चल रहा है। इसे इसी सत्र से लागू किया जाएगा। सबसे खास बात यह है कि इस अभिनव प्रयोग में सरकार का एक पैसा खर्च नहीं हुआ है।
शिक्षकों की मदद से क्षेत्रवार किया जाएगा यह प्रयोग-
फैजाबाद-गोण्डा, बलरामपुर जैसे इलाकों में अवधी, झांसी, ललितपुर, बांदा जैसे क्षेत्रों में बुंदेलखण्डी, मथुरा, आगरा आदि में ब्रज और बलिया, देवरिया जैसे क्षेत्रों में भोजपुरी किताबों के डिजिटल वर्जन दिए जाएंगे। इसमें ऑडियो की सुविधा भी होगी। शिक्षक पाठ पढ़ाते समय इसे सहायक सामग्री की तरह इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए शिक्षकों को इससे होने वाले फायदों पर भी नजर रखना होगा।
एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक अजय कुमार सिंह का कहना है कि, “अभी हमने कक्षा एक व दो की किताबों का अनुवाद करवाया है। यदि बच्चों को इससे फायदा हुआ तो कक्षा एक से तीन तक की सारी किताबों का बोलियों में अनुवाद कर डिजिटल वर्जन बनाएंगे।”