वर्ष 2014 में देश में 25 हृदय प्रत्यारोपण हुए थे। पिछले वर्ष यह आंकड़ा बढ़कर 339 हो गया। चार साल में हृदय प्रत्यारोपण में 13 गुना से अधिक इजाफा काफी अच्छा आंकड़ा है, लेकिन यह इससे भी अच्छा हो सकता था। दरअसल वर्ष 2017 में 905 मस्तिष्क-मृत व्यक्तियों के 905 हृदय, प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध थे, लेकिन कई राज्यों में अंग पुनरुद्धार और प्रत्यारोपण की सुविधा नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो सका।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल ढाई लाख से अधिक लोगों की मौत अंग नाकाम होने की वजह से होती है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 50 हजार लोगों को हृदय प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) की जरूरत है। जबकि दो लाख लोगों को किडनी और 80 हजार लोगों को लीवर प्रत्यारोपण की दरकार है। लेकिन पिछले साल 339 लोगों में हृदय, 1690 लोगों में किडनी और 708 लोगों में लीवर का प्रत्यारोपण किया जा सका। गौरतलब है कि किडनी और लीवर कोई जीवित व्यक्ति भी दान दे सकता है, लेकिन हृदय सिर्फ मस्तिष्क-मृत व्यक्ति से ही हासिल हो सकता है।
देश में अंगदान और अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए बनी संस्था ‘नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन’ (नोट्टो) के निदेशक डॉ. विमल भंडारी ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कहा कि देश के 16-17 राज्यों, खासकर दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में ही सारे अंगदान और प्रत्यारोपण हो रहे हैं। लेकिन पंजाब, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्व के राज्य तथा हिंदीभाषी राज्य अंगदान और अंग प्रत्यारोपण में खासे पीछे हैं। बिहार, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने तो अब तक अंग प्रत्यारोपण का खाता ही नहीं खोला है।
भंडारी ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए काफी विशेषज्ञता और संसाधनों की जरूरत होती है। लेकिन अंग पुनरुद्धार (रिट्रीवल) के लिए उतनी तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत नहीं होती। हर जिला अस्पताल में सर्जन मौजूद होते हैं। उन्हें ही थोड़ा प्रशिक्षण देकर हर जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में कम से कम एक आर्गन रिट्रीवल सेंटर बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, देश में हर साल डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है। इनमें से 10 फीसदी से भी अगर हम अंग लेने में सफल हो गए तो 30 हजार लोगों को किडनी मिल सकेगी और 15 हजार लोगों को लीवर मिल सकेगा। फिलहाल देश में कुल 301 आर्गन रिट्रीवल सेंटर हैं, जिनमें से ज्यादातर महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों में हैं।
राज्यों में अंगदान को लेकर जागरूकता और सुविधा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने इस साल 10 राज्यों में ‘स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन’ (सोट्टो) बनाने का लक्ष्य रखकर सभी राज्यों से प्रस्ताव मांगे थे। हालांकि अब तक पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गोवा ने ही इसमें रुचि दिखाई है।
बीएसएफ के 50 हजार से अधिक जवानों ने अंगदान की शपथ ली
ऐसे समय में जबकि भारत ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है, सीमा सुरक्षा बल के 50 हजार से अधिक जवानों ने अंगदान की प्रतिज्ञा लेकर एक उदाहरण पेश किया है।
नोट्टो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोगों को अंगदान के बारे में जागरूक करने और उन्हें अंगदान के लिए प्रेरित करने के लिए दो साल पहले अंगदान की प्रतिज्ञा दिलाने का अभियान शुरू किया गया था। अब तक करीब 17 लाख लोगों ने अंगदान करने की प्रतिज्ञा की है। इनमें 50 हजार से अधिक अकेले बीएसएफ के जवान और अधिकारी हैं।
अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इस प्रतिज्ञा की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। मृत्यु के बाद अंगदान करना है या नहीं इस पर अंतिम फैसला करने का अधिकार मृतक के परिजनों को ही रहेगा। लेकिन यह एक अच्छी पहल है।
विमल भंडारी कहते हैं, भारत में 10 लाख में से 0.86 लोग ही अंगदान करते हैं। स्पेन में यह आंकड़ा 40 के करीब है। हमारे देश में अंगदान में कमी का बड़ा कारण लोगों में इससे जुड़ी भ्रांतियां हैं। हालांकि, सीमा पर हमारी सुरक्षा करने वाले बीएसएफ के जवानों ने जिस उत्साह के साथ अंगदान की प्रतिज्ञा ली है वह अनुकरणीय है। मैं उनको सलाम करता हूं।
कितने अंगों की दरकार
अंग मांग
हृदय 50 हजार
किडनी 02 लाख
लीवर 80 हजार
हृदय प्रत्यारोपण
वर्ष प्रत्यारोपण
2014 25
2015 110
2016 235
2017 339