सुरक्षा के कड़े इंतजाम के बीच अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना

सुरक्षा के कड़े इंतजाम के बीच अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना

जम्मू बेस कैम्प से अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था बुधवार की सुबह रवाना कर दिया गया। जम्मू कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम, जम्मू कश्मीर राज्यपाल सलाहकार बी.बी. व्यास और विजय कुमार ने हरी झंडी दिखाई।

जम्मू कश्मीर राज्यपाल के सलाहकर विजय कुमार ने कहा- “अमरनाथ यात्रा काफी महत्वपूर्ण है। आम लोग, सभी सुरक्षा एजेंसियों और डेवलपमेंट एजेंसियों के सहयोग से हमने ये सारी तैयारियां की है और यात्रियों का ध्यान रखते हुए उसे बेहतर करने की कोशिशें की गई है। इसके साथ ही, ट्रैफिक को सामान्य बनाने सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।”

अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इस मौके पर जम्मू सेक्टर के सीआरपीएफ आईजी ने बताया कि सभी तरह की सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद है। हम नई तकनीक और गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही, पिछले साल की तुलना में इस बार इस काम में लोगों को भी बढ़ाया गया है।

उन्होंने कहा कि वैसे तो इस यात्रा को लेकर अभी तक कोई बड़े खतरे की बात सामने नहीं है। उसके बावजूद किसी तरह के हमले की चुनौतियों से निपटने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं।

अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना होने के वक्त श्रद्धालुओं ने कहा कि वे काफी खुश हैं। उन्हें किसी बात का कोई डर नहीं है। सभी सुरक्षा व्यवस्था बेहतर है। हर साल सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की जाती है।

दहशत पर भारी पड़ती आस्था

कश्मीर में चिंताजनक हालात और आतंकवाद के खतरे के बीच श्रद्धालुओं ने अमरनाथ यात्रा की तैयारी कर ली हैं। 12,756 फीट की उंचाई पर स्थित बाबा बर्फानी की पहली तस्वीर मंगलवार को जारी की गई। 28 जून से अमरनाथ यात्रा की औपचारिक शुरुआत हो रही है। आतंकवाद पर भारी पड़ती आस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी से ही करीब 2 लाख श्रद्धालुओं ने इस पवित्र गुफा में शिवलिंग के दर्शन के लिए पंजीकरण करा लिया है।

आस्था 
1.96 लाख से ज्यादा लोग पंजीकरण करा चुके हैं अभी तक
7500 तीर्थयात्रियों प्रतिदिन प्रत्येक रास्ते से यात्रा पर जाएंगे।
28 जून से शुरू हो रही है अमरनाथ यात्रा
27 जून को जम्मू के भगवती नगर से पहला जत्था रवाना होगा
40 दिनों के लिए थी यात्रा पिछले साल
60 दिनों तक इस साल दर्शन कर सकेंगे बाबा बर्फानी के
12756 फीट की उंचाई पर स्थित है पवित्र गुफा

टूट सकता है 2014 का रिकॉर्ड
वर्ष                   यात्री

2017                 2,60,003
2016                 2,20,490
2015                 3,52,771
2014                 3,72,909
2013                 3,53,969

यात्रा मार्ग
पहला मार्ग – 

बालटाल से दोमेल (2 किलोमीटर), दोमेल से बरारी (5 किलोमीटर), बरारी से संगम (4 किलोमीटर), संगम से गुफा (3 किलोमीटर)

दूसरा मार्ग 
पहलगाम—चंदनबाड़ी बेस कैंप (16 किमी)—पिस्सू टॉप (3 किमी)—जोजी बल—नागा कोटी—शेषनाग (9 किलोमीटर)—वारबल (4.6 किलोमीटर)—महागुन स्टॉप—पाबीबल—पंचतरणी (6 किलोमीटर)—संगम—गुफा (3 किलोमीटर)

 सुरक्षा के कड़े इंतजाम
– ड्रोन से रखी जाएगी बेस कैंप और रास्ते पर नजर
– उधमपुर, कठुआ, जम्मू, रामबन, पहलगाम, अनंतनाग, बालटाल पर ड्रोन से निगरानी
– अर्धसैनिक बलों की 213 अतिरिक्त कंपनियां तैनात
– पहली बार सीआरपीएफ का मोटरसाइकिल दस्ता नजर आएगा
– यह दस्ता भगवती नगर शिविर से बनिहाल तक साथ जाएगा
– सुरक्षा में पहली बार एनएसजी कमांडो को तैनात किया गया है
– दिल्ली से विशेष दस्तों को कश्मीर भेजा गया है
– यात्रा वाहनों में खास तरह की ट्रैकिंग चिप लगाई जाएगी, जिसका नियंत्रण सीआरपीएफ के पास होगा
– रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कश्मीर जाकर सुरक्षा का जायजा लिया।

18 साल में 66 की जान गई
2017 : 7 लोगों की मौत, दर्शन के बाद लौट रहे यात्रियों की बस को चारों तरफ से घेरकर गोलियां बरसाईं। 19 लोग घायल भी।
2006 : बालटाल से लौट रही बस पर बम फेंका, 5 की मौत
2002 : लश्कर के आतंकियों ने यात्रा बेस कैंप पर हमला किया, 9 लोगों की मौत
2001 : शेषनाग के पास कैंप पर दो हथगोले फेंकने के बाद गोलियां बरसाईं। 13 की मौत।
2000 : अमरनाथ यात्रा पर सबसे बड़ा हमला, 32 लोगों की जान गई।
1993 : दो अलग-अलग हमलों तीन लोगों की जान गई
1994 : दो यात्री मारे गए।

पर्यावरण को खतरे को लेकर भी विवाद
– 2006 में जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में अमरनाथ क्षेत्र के पर्यावरण पर चिंता जताई गई।
– सर्वोच्च अदालत ने श्रद्धालुओं की संख्या सीमित पर करने के एनजीटी के आदेश पर रोक लगाई।
– याचिकाकर्ता गौरी मुलेखी ने कहा था कि प्रदूषण की वजह से शिवलिंग को नुकसान पहुंच रहा है।
– अमरनाथ श्राइन बोर्ड से कहा था कि यह इलाका पर्यावरण की दृष्टि से बेहद संवेदनशील।
– बोर्ड ने कहा, ग्लेशियरों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यहां शोर-शराबा नहीं होना चाहिए।
– अमरनाथयात्री पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं और प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हैं।
– 09 महीने हर साल अमरनाथ गुफा बर्फ से ढकी रहती है, सिर्फ तीन महीने खुलती है

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