आज है गंगा दशहरा। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है गंगा दशहरा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा मां का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। ऐसा भी माना जाता है कि गंगा श्री विष्णु के चरणों में रहती थीं तब भागीरथ की तपस्या से भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया था।
इस दिन गंगा में स्नान और दान करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से दस तरह के पापों का नाश होता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करें। अगर गंगा में स्नान न कर पाएं तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर घर पर हैं तो घर पर जल में थोडा सा गंगाजल मिलाएं या तुलसी के पत्ते डालें और मां गंगा को ध्यान करें।
स्नान के बाद पूजा में जो सामग्री इस्तेमाल करें उनकी संख्या भी दस होनी चाहिए खासकर आरती के लिए दस दीपकों का इस्तेमाल करें। दान भी करें तो दस ब्राह्मणों को करें। इस दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने की परंपरा रही है। इस दिन दान किए जाने वाली वस्तु की संख्या दस होनी चाहिए। विधि-विधान से गंगा मां का पूजन कर दस सेर तिल, दस सेर जौ और दस सेर गेहूं दस ब्राह्मणों को दान करना चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।