भारत में नियुक्त चीनी राजदूत ने सोमवार को कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध एक और डोकाला का तनाव नहीं ले सकते हैं। उन्होंने विशेष प्रतिनिधियों की एक बैठक के जरिए सीमा विवाद का एक परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने पर जोर दिया।
चीनी राजदूत लुओ झाओहुई ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ भारतीय मित्रों ने भारत, चीन और पाकिस्तान की भागीदारी वाली एक त्रिपक्षीय बैठक का सुझाव दिया है जो एक बहुत ही रचनात्मक है। चीन-भारत संबंध के बारे में उन्होंने कहा कि मतभेद होना स्वाभाविक है लेकिन हमें सहयोग बढ़ा कर मतभेदों को दूर करने की जरूरत है। सीमा विवाद अतीत की देन है। हमें विश्वास बहाली के उपाय स्वीकार करते हुए विशेष प्रतिनिधियों की बैठक के जरिए एक परस्पर स्वीकार्य हल तलाशना होगा।
राजूदत ने कहा, हम एक और डोकलाम का तनाव नहीं ले सकते। वे चीनी दूतावास में ‘वुहान से आगे: चीन-भारत संबंध कितना आगे’ विषय पर बोल रहे थे। राजदूत ने कहा कि चीन धार्मिक आदान प्रदान को बढ़ावा देना और तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए इंतजाम करना जारी रखेगा। लुओ ने कहा कि भारत, चीन और पाकिस्तान का एक त्रिपक्षीय बैठक करने का प्रस्ताव बहुत ही रचनात्मक है। चीन, रूस और मंगोलिया के नेता भी इस तरह की बैठक करते हैं। हमें एससीओ, ब्रिक्स में सहयोग बढ़ाने और सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए हाथ मिलाने की जरूरत है।
अफगानिस्तान में भारत-चीन सहयोग के बारे में पूछे जाने पर लुओ ने कहा कि दोनों देशों ने अफगान अधिकारियों और राजनयिकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम की पहचान की है। यह पहला कदम है और भविष्य में और भी कदम उठाए जाएंगे।
पिछले साल 73 दिन चला था गतिरोध
अगस्त 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकाला में 73 दिनों तक गतिरोध चला था। डोकाला गतिरोध का एक तात्कालिक परिणाम यह हुआ था कि नाथू ला से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सालाना सैन्य अभ्यास स्थगित कर दिया गया था। चीन ने तिब्बत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के जल के बारे में आंकड़े भी नहीं दिए थे।
