भारत से गोद लिया गया शख्स स्विट्जरलैंड में सांसद बना

भारत से गोद लिया गया शख्स स्विट्जरलैंड में सांसद बना

भारत के कर्नाटक प्रांत में जन्मे निकलॉस-सैमुअल गगर स्विट्जरलैंड में सांसद बन गए हैं। वह भारतीय मूल के पहले स्विस सांसद हैं। 48 वर्षीय निकलॉस स्विस संसद के सबसे युवा सदस्य भी हैं। निकलॉस का जन्म कर्नाटक के उडुपी स्थित सीएसआई लोम्बार्ड मेमोरियल अस्पताल में 1 मई 1970 को हुआ था। उन्हें जन्म देने वाली मां अनुसूया ने उन्हें पैदा होते ही त्याग दिया था। इसके एक हफ्ते बाद उन्हें एक स्विस दंपति ने गोद ले लिया था।  निकलॉस के नए माता-पिता, फ्रित्ज और एलिजाबेथ उन्हें लेकर केरल चले गए। उस समय निकलॉस केवल 15 दिन के थे।
बीते हफ्ते भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) के पहले सांसद सम्मेलन से पहले निकलॉस ने एक बातचीत में कहा, मेरी जैविक मां अनुसूया ने मेरे जन्म के तुरंत बाद मुझे डॉक्टर ईडी पीफ्लगफेल्डर को सौंप दिया था। उन्होंने डॉक्टर से यह अनुरोध किया था कि वह मुझे किसी ऐसे दंपति को दे दें जो मेरा बेहतर तरीके से पालन-पोषण कर सके और मुझे एक अच्छा कैरियर बनाने में मदद कर सके। इसके बाद डॉक्टर पीफ्लगफेल्डर ने मुझे गगर दंपति (फ्रित्ज और एलिजाबेथ) को सौंप दिया था।

कर्नाटक से स्विस संसद तक की अपनी यात्रा के बारे में निकलॉस ने कहा, ‘मैंने अपने जीवन के शुरुआती चार साल केरल के थालेस्सेरी में बिताए, जहां मेरी नई मां एलिजाबेथ जर्मन और अंग्रेजी भाषा की शिक्षक थीं। जबकि मेरे पिता फ्रित्ज नाट्टुर टेक्नीकल ट्रेनिंग फाउंडेशन में उपकरण बनाते थे।’ उन्होंने कहा, बाद में हम स्विट्जरलैंड लौट गए, जहां मैंने ट्रकचालक, माली और मिस्त्री का काम किया। दरअसल मेरे माता-पिता मेरी शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ थे। उन्होंने मुझे रोटी-कपड़ा दिया और दूसरी कई चीजें सिखाईं।
ट्रक चलाया, माली का काम किया : 
केरल में करीब चार साल तक रहने के बाद फ्रित्ज और एलिजाबेथ अपने दत्तक पुत्र के साथ अपने देश स्विट्जरलैंड लौट गए। यह दंपति धनवान नहीं थी। उनके पास निकलॉस की उच्च शिक्षा के लिए पर्याप्त पैसा नहीं था। इसलिए बड़े होने पर निकलॉस ने ट्रक चलाया और माली का काम किया। ताकि उच्च शिक्षा हासिल कर सके।
दुनिया में भारतीय मूल के 134 सांसदों में शामिल : 
निकलॉस को लोग निक कहकर पुकारते हैं। वह दुनिया के 24 देशों की संसदों में मौजूद भारतीय मूल के उन 143 सांसदों में से एक हैं, जिन्होंने विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित पीआईओ-सांसद सम्मेलन में भाग लिया। निकलॉस ने भारत आने को अपने लिए एक भावनात्मक क्षण बताया।
सामाजिक कार्य भी किया : 
अध्ययन पूरा करने के बाद निकलॉस ने सामाजिक कार्य करना भी शुरू किया। वर्ष 2002 में वह जर्मन सीमा से लगे ज्यूरिख के उत्तर-पूर्व स्थित विंटरथुर शहर के परामर्शदाता चुने गए। नवंबर 2017 में वे इवान्जेलिकल पीपुल्स पार्टी के टिकट पर स्विस संसद के सदस्य चुने गए। उन्होंने कहा, ‘मैं स्विट्जरलैंड के संसद में सांसद के रूप में चुना जाने वाला पहला भारतीय हूं। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह कम से कम अगले दशक तक स्विस संसद में इकलौते भारतीय रहेंगे, क्योंकि और कोई भारतवंशी स्विस सियासत में सक्रिय नहीं है।’
जैविक मां का आभार मानते हैं
निकलॉस अपनी सफलता के लिए अपनी जैविक मां अनुसूया को धन्यवाद देते हैं। हालांकि वे उन तक पहुंचने में कामयाब नहीं हो सके। लेकिन अपनी जैविक मां की यादों को संजोने के लिए उन्होंने अपनी बेटी का नाम अनुसूया रखा है।

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