UP:केजीएमयू में छात्रों-कर्मचारियों की लड़ाई में बुझे तीन घरों के चिराग,

UP:केजीएमयू में छात्रों-कर्मचारियों की लड़ाई में बुझे तीन घरों के चिराग,

केजीएमयू में एमबीबीएस छात्र व कर्मचारियों की मामूली कहासुनी में गुरुवार को तीन घरों के चिराग बुझ गए। झगड़ा बढ़ने के बाद कर्मचारियों ने ट्रॉमा सेंटर में कामकाज ठप करा दिया। इलाज की आस में आए तीन मरीजों की मौत हो गई। ऑक्सीजन न मिलने से 13 महीने के बच्ची की सांसें थम गई। कर्मचारियों ने ओपीडी बंद करा दी। मरीजों को भगा दिया गया।

मामूली कहासुनी से बढ़ा विवाद 
मंगलवार को पीआरओ कार्यालय के काउंटर छह पर तैनात कर्मचारियों की एमबीबीएस छात्रों से कहासुनी हो गई थी। बुधवार को 50 से ज्यादा छात्रों ने काउंटर पर हमला बोल दिया था। इसमें महिला कर्मचारी के हाथ में चूड़ी धंस गई थी। वहीं दूसरे कर्मचारी की पिटाई हो गई थी। इससे नाराज कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर हंगामा किया था। केजीएमयू प्रशासन ने एक छात्र को निलंबित करने का दावा किया था।

सैकड़ों छात्रों को बंधक बनाया
गुरुवार को सुबह कर्मचारी काम कर रहे थे। आरोप हैं कि एमबीबीएस छात्रों ने फिर से काउंटर छह पर धावा बोल दिया। यह बात कर्मचारियों को नागवार गुजरी। कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर दिया। सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी कुलपति व कुलसचिव कार्यालय की ओर बढ़े। इसी दौरान सेल्बी हाल में सैकड़ों की संख्या में एमबीबीएस छात्र पहले से मौजूद थे। अफसरों ने कर्मचारियों से बातचीत करने में आनाकानी की। आरोप हैं कि एक छात्र ने केजीएमयू कर्मचारी परिषद के महामंत्री प्रदीप गंगवार पर बोतल फेंक दी।

इस पर कर्मचारियों का गुस्सा भड़क उठा। कर्मचारियों ने सेल्बी हाल का दरवाजा बाहर से बंद कर लिया। बंधक बनाए जाने से नाराज छात्र ने हंगामा शुरू कर दिया। अफरा-तफरी में गेट का कांच टूट गया। कांच प्रदीप गंगवार के हाथ में घुस गया। इसी दौरान परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह से भी हाथापाई होने लगी। विकास को चोट आईं। साथियों ने दोनों को घायल अवस्था में भर्ती कराया।

साथी की पिटाई से कर्मचारियों में उबाल
परिषद के अध्यक्ष विकास और महामंत्री प्रदीप की पिटाई के बाद कर्मचारियों में उबाल आ गया। कर्मचारियों ने कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट व कुलसचिव राजेश राय से बातचीत की लेकिन वह बेनतीजा रही। इसके बाद कुलपति ने कलाम सेंटर में बातचीत का न्यौता दिया जिसे कर्मचारियों ने ठुकरा दिया।

ओपीडी बंद कराकर हजारों मरीज लौटाए
जुलूस की शक्ल में कर्मचारी ओपीडी ब्लॉक पहुंचे। यहां कामकाज ठप करने का ऐलान कर दिया। हजारों की संख्या में मरीज डॉक्टर की सलाह के लिए लाइन में लगे थे। उग्र कर्मचारियों ने सभी मरीजों को बाहर कर दिया। रोते-बिलखते मरीजों की सुनवाई नहीं हुई। बेबस मरीज व तीमारदार आंखों में आंसू लेकर मरीज को दिखाने की फरियाद करते रहे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हई। आधे घंटे मे ओपीडी बंद हो गई। कर्मचारी ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। वहां भी कामकाम ठप करा दिया।

इलाज के बिना तड़पे मरीज
ट्रॉमा सेंटर में जांच व शुल्क जमा करने का काम ठप होने से आफत आ गई। मरीजों की भर्ती कुछ मिनट चली, लेकिन बिना जांच इलाज ठप हो गया। मरीजों को वार्ड में शिफ्ट करने का काम भी थम गया। बिना इलाज मरीज तड़पने लगे। देखते-देखते जूनियर डॉक्टर भी कैजुअल्टी से गायब हो गए। बिना इलाज मरीजों की हालत नाजुक हो गई। गंभीर अवस्था में कर्मचारियों ने परिवारीजनों को दूसरे अस्पताल में मरीज जे लाने की सलाह दी। सबसे ज्यादा मुश्किलें सिर में चोट लगे मरीजों को झेलनी पड़ी। चार से पांच घंटे इंतजार के बाद भी गंभीर मरीजों की जांच नहीं हो सकी। यही हाल एक्सरे, अल्ट्रासाउंड समेत दूसरी जांच का रहा। पैथोलॉजी की जांचें भी बंदा करा दी गई।

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