प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक स्टेट लेबल कमेटी और टास्ट फोर्स का गठन होगा। इसमें मुख्य सचिव, डीजीपी, पीसीसीएफ, सदस्य सचिव पीसीबी और कुछ गैर सरकार संगठनों के लोग होंगे। इसके बाद जिला और ब्लाक स्तर पर कमेटियों का गठन होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस पर मंगलवार को ओएनजीसी के एएनएम घोष ऑडिटोरियम में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग और गति फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्लास्टिक का उपयोग हालांकि बैन है, लेकिन इस पर सख्ती नहीं हो पाई।
सरकार ने सभी को 31 जुलाई तक का वक्त दिया है। इसके बाद प्लास्टिक के उपयोग पर सख्ती की जाएगी। सरकार 50 माइक्रोन से कम के पॉलीथिन बैग पर भी बैन लगाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण के लिए आम जनता की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट की सफलता के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति जरूरी है।
पीसीसीएफ जयराज ने कहा कि लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। तभी प्लास्टिक का इस्तेमाल कम हो सकता है। कार्यक्रम में वन सचिव अरविंद ह्यांकी, पीसीबी के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डीबीएस खाती, वन निगम के एमडी गंभीर सिंह, वन संरक्षक पीके पात्रो, गति फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल और आईआईपी के वैज्ञानिक सनद आदि मौजूद रहे।
दून जू को मिला आईएसओ सर्टिफिकेट
दून जू को पर्यावरण प्रबंधन और गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आईएसओ सर्टिफिकेट मिला है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और पीसीसीएफ जयराज ने जू के निदेशक व वन संरक्षक पीके पात्रो को सर्टिफिकेट की कापी दी। जू में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और वन्यजीव संरक्षण के लिए किए गए कार्यों के चलते ये आईएसओ-9001 व आईएसओ 14001 सर्टिफिकेट दिए गए।
पीठ ने इस मामले को संविधान पीठ को भेज दिया। संविधान पीठ देख रही है कि क्या एम नागराज फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है। कई याचिका में इसका आग्रह किया गया है कि क्रीमी लेयर पर फैसला एससी-एसटी श्रेणी में भी लागू किया जाना चाहिए।