योगगुरु बाबा रामदेव के करीबी बालकृष्ण ने मंगलवार को ग्रेटर नोएडा से पतंजलि फूड पार्क हटाने संबंधी दो ट्वीट कर चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया। हालांकि, यमुना प्राधिकरण ने इस पूरे मामले से अनभिज्ञता जताई। बालकृष्ण ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पहले ट्वीट में कहा,‘आज ग्रेटर नोएडा में केंद्रीय सरकार से स्वीकृत मेगा फूड पार्क को निरस्त करने की सूचना मिली। श्रीराम व कृष्ण की पवित्र भूमि के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का संकल्प प्रांतीय सरकार की उदासीनता के चलते अधूरा ही रह गया। पतंजलि ने प्रोजेक्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय लिया है।’
दूसरे ट्वीट में उन्होंने फूड पार्क के मॉडल का फोटो के साथ लिखा,‘यह था पतंजलि फूड पार्क नोएडा के प्रस्तावित विशाल संस्थान का स्वरूप, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता तथा जिससे लाखों किसानों को समृद्धशाली जीवन प्राप्त होता।’ उधर, यमुना प्राधिकरण के सीईओ अरुणवीर सिंह ने पतंजलि के ऐसे किसी फैसले से अनभिज्ञता जताते हुए कहा, पतंजलि को मिक्स लैंड यूजके तहत 435 एकड़ जमीन दी गई है। जिस पर यूनिट बनाने का काम चल रहा है।
पतंजलि की कंपनी को जल्द मिलेगी जमीन: प्रमुख सचिव
औद्योगिक विकास आयुक्त एव प्रमुख सचिव डा.अनूप चंद्र पांडेय ने हिन्दुस्तान को बताया कि पतंजलि का प्रस्ताव रद्द नहीं किया गया है। नियमानुसार प्रक्रिया जारी है। पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के नाम से पिछली सरकार में 435 एकड़ जमीन मेगा फूड पार्क बनाने के लिए दी गई थी। इसमें से नई कंपनी पतंजलि फूडपार्क के लिए 50 एकड़ जमीन मांगी गई है। यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी ने इस आवेदन पर विचार कर नियमानुसार प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बता दें, साल 2016 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ग्रेटर नोएडा में पतंजलि फूड पार्क को जमीन देने की घोषणा की थी। इसे 455 एकड़ जमीन में बनाया जाना था। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसको तैयार करने में करीब 6,000 करोड़ रुपए लागत आने का अनुमान लगाया गया था