योगी सरकार का अहम फैसला

योगी सरकार का अहम फैसला

प्रदेश सरकार अपने पहले पूर्ण बजट 2017-18 के खर्च की समीक्षा करेगी। यह समीक्षा अधिकारियों के स्तर पर नहीं बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट करेगी। सरकार के इस निर्णय के बाद विभागों में हड़कंप मचा है। अधिकारी मिले बजट के खर्च का ब्यौरा तैयार करने में जुटे हैं।

संभवत: यह पहला मौका होगा जब कोई सरकार अपने किसी बजट खर्च का लेखाजोखा कैबिनेट में रखकर चर्चा करेगी। इससे पूर्व इस तरह के ब्यौरे विधानमंडल में ही प्रस्तुत होते थे, यह परंपरा भी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्षों से बजट मैनुअल के तहत जारी सभी वित्तीय स्वीकृतियों का लेखाजोखा मांगा है। इस संबंध में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव संजीव मित्तल ने संबंधित अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है। जिसमें उन्होंने 2017-18 के बजट मैनुअल के प्रस्तर-94 के तहत मिलीं वित्तीय स्वीकृतियों का ब्यौरा देने को कहा है।

2017-18 में इस सरकार ने पहला बजट दिया था

2017-18 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपना पहला पूर्ण बजट प्रस्तुत किया था। इस बजट में चुनावी घोषणाओं को पूरा करने की कोशिश की गई थी। किसानों की कर्जमाफी के लिए 36 हजार करोड़ का प्रबंध किया गया था। इसके साथ ही सरकार ने जनता की मूलभूत समस्याओं को दूर करने के लिए सड़क, बिजली, पानी, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र को बजट में फोकस किया था। 2017-18 में सरकार ने 384,659.71 करोड़ (03 लाख 84 हजार 659 हजार 71 लाख) का बजट प्रस्तुत किया था।

उपचुनावों में मिली हार को इससे जोड़कर देखा जा रहा है
माना जा रहा है कि पहले गोरखपुर और फूलपुर और अब कैराना और नूरपुर में हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली हार इस समीक्षा का वजह हो सकती है। सरकार यह देखना चाहती है कि उन्होंने जिन क्षेत्रों में विकास को प्राथमिकता दी उन क्षेत्रों में कितना काम हुआ। कहीं अधिकारियों की लापरवाही से काम नहीं होने से तो जनता नाराज नहीं चल रही है। इस समीक्षा के और भी कई मायने निकाले जा रहे हैं।

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