विपक्ष की रणनीति और क्षेत्रीय दलों ने BJP को किया चित

विपक्ष की रणनीति और क्षेत्रीय दलों ने BJP को किया चित

11 राज्यों की चार लोकसभा और 10 विधानसभा उपचुनाव के गुरुवार को आए नतीजे भाजपा के लिए झटके पर झटके जैसा है। उपचुनावों में भाजपा ने लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट गंवाई है। वहीं, विपक्ष एक बार फिर भाजपा की घेराबंदी करने में सफल रहा है। इन नतीजों से यह भी साफ है कि क्षेत्रीय दलों में भी अभी दमखम बचा है।

उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा और नुरपुर विधानसभा सीटें उसके प्रतिष्ठा की लड़ाई थी। लेकिन विपक्ष की घेराबंदी ने भाजपा को कामयाब नहीं होने दिया। कैराना लोकसभा सीट पर जाट और मुस्लिमों के वोट की जुगलबंदी के लिए विपक्ष ने जो दांव चला उसमें भाजपा चित्त हो गई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आम चुनावों से पूर्व हुए जाट-मुस्लिम दंगों के बाद सपा ने मुस्लिम उम्मीदवार को जिस प्रकार रालोद के टिकट पर चुनाव मैदान में उतार कर दोनों वर्गों के मत हासिल कर भाजपा को धूल चटाई, वह विपक्ष की एक और नई रणनीति को दर्शाता है। इसी प्रकार महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया सीट पर विपक्षी एकजुटता ने भाजपा को हराया। गोरखपुर-फूलपुर, कर्नाटक के बाद कैराना में विपक्ष की लगातार तीसरी रणनीति सफल रही है।

उपचुनावों के नतीजों में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव भी साफ दिख रहा है। सपा ने भाजपा से नूरपुर सीट छीनकर उत्तर प्रदेश में अपने प्रभाव को फिर साबित किया है। यूपी विधानसभा चुनावों में सपा की भारी पराजय के बाद यह संदेश था कि पार्टी को संभलने में समय लगेगा, लेकिन ये नतीजे बताते हैं कि पार्टी फिर संघर्ष के लिए तैयार हो चुकी है। कांग्रेस के लिए राहत यह है कि वह पंजाब, कर्नाटक में विधानसभा की सीटें जीतने में कामयाब रही है। जबकि झामुमो अपने दो सीटों, तृणमूल, माकपा अपनी एक-एक विधानसभा सीटों को बचाने में कामयाब रहे। बिहार की जोकीहाट सीट पर जदयू और भाजपा समर्थित उम्मीदवार की हार गठबंधन सरकार के लिए झटका है।

विपक्षी एकता और उपचुनावों में मिली हार से भाजपा विचलित नहीं है। पार्टी मानती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वस्नीयता और सरकार की स्थिरता के सामने विपक्षी महागठबंधन नहीं टिक पाएगा। उपचुनावों के नतीजों का सामान्य चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।

उपचुनाव में हार से नहीं पड़ेगा कोई असर-प्रधान

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि उपचुनाव और सामान्य चुनाव दोनों अलग-अलग विषय हैं। फिर भी इस चुनाव में हार-जीत को सीख के तौर पर लेते हैं।

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश दोबारा अस्थिरता को नहीं अपनाएगा। देश की जनता को यह समझ है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में स्थिरता कौन देगा। उनके मुताबिक, आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में स्थिरता एक बड़ा मुद्दा होगी। इसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने प्रतिद्वंद्वियों को मात देंगे। चुनाव में लोग इस विषय पर फैसला करेंगे।

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