पीएम मोदी ने गिनाई मुद्रा योजना की उपलब्धियां,

पीएम मोदी ने गिनाई मुद्रा योजना की उपलब्धियां,

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला योजना को लेकर नमो ऐप के जरिे लोगों को संबोधित किया। वहीं आज (मंगलवार को) मुद्रा योजना के बारे में लोगों को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 12 करोड़ लाभार्थियों को छह लाख करोड़ रुपये के मुद्रा ऋण बांटे हैं। यह कार्य, उनकी सरकार की गैर-वित्तपोषित को वित्तपोषित करने की पहल के तहत किया गया है।

मुद्रा ऋण के लाभार्थियों के साथ एक बातचीत में मोदी ने कहा, ”इन 12 करोड़ लाभार्थियों में से करीब 28 प्रतिशत यानी 3.25 करोड़ लोग पहली बार उद्यम शुरू करने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा कि इसमें 74% लाभार्थी महिलाएं हैं जो संख्या में करीब नौ करोड़ हैं। 55% ऋण अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिए गए हैं

पीएम मोदी ने कहा, ‘जब हुनर को प्रोत्साहन मिलता है तो उसे और बढ़त मिलती है। मान लीजिए किसी हैंडलूम वाले को मुद्रा लोन मिलता है तो वह अपने कारोबार को बढ़ाएगा और डिजाइनर कपड़ो तक का प्रॉडक्शन शुरू कर सकता है। मान लीजिए कोई माली दूसरे के बगीचे में काम करता था, उसे यदि मुद्रा योजना जैसी स्कीम से कुछ लाभ मिल जाए तो वह अपनी नर्सरी शुरू कर सकता है।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘मुद्रा योजना के तहत 55 फीसदी लोन पिछड़े समाज को दिए गए यानी एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं को यह लोन दिए गए। मुद्रा योजना एक ऐसी स्कीम है, जो बिना किसी भेदभाव के पिछड़े समाज को मजबूत करने का काम सफलतापूर्वक किया है। आज 110 बैंक ही नहीं बल्कि 72 माइक्रो फाइनैंस कंपनियां और 9 नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों ने भी यह लोन शुरू किए हैं।’

गरीबों लौटाते हैं पाई-पाई- मोदी 
अपने संबोधन के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने मुद्रा स्कीम का लाभ उठाने वाले कुछ लोगों के अनुभव भी सुने। उन्होंने मुद्रा स्कीम के तहत लोन मिलने से पहले और उसके बाद के अनुभव लोगों से जाने। यही नहीं गुजरात के एक लाभार्थी हरिभाई से उन्होंने मजाकिया अंदाज में पूछा कि क्या आप बैंक के समय पर लौटा रहे हैं। इस पर हरिभाई के हां बोलने पर कहा कि यह सबको पता चलना चाहिए कि बड़े लोग तो लोन लेकर भाग जाते हैं, लेकिन गरीब लोग ऐसा नहीं करते।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत मोदी ने आठ अप्रैल 2015 को की थी। इसका मकसद छोटे और मझोले उद्यमियों को गैर-कारपोरेट और गैर-कृषि काम के लिए 10 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराना था।

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