नाबालिग सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म कर उसे गर्भवती बनाने के मामले में आरोपी पिता दस साल की सजा सुनाई गई है। अपर न्यायायुक्त एसएस प्रसाद की अदालत ने दोषी पर दो हजार रुपए जुर्माना भी किया है। जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर दोषी को तीन माह की अतिरिक्त सजा काटने का निर्देश दिया गया है। इस मामले में नाबालिग की मां ने अपने पति के खिलाफ चार मई 2013 को धुर्वा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वर्तमान में आरोपी जेल में ही बंद है। इस मामले में अभियोजन की ओर से सात गवाह प्रस्तुत किए गए।
सूचक बनी मां ही कोर्ट में बयान से मुकरी
मामले की सूचक मां न्यायालय में अपने बयान से ही मुकर गई। उन्होंने पांच अगस्त 2014 को कोर्ट में यह बयान दिया कि घटना से चार साल पहले उसके पहले पति ने उसे छोड़ दिया। वह जगन्नाथपुर बस्ती में मौसीबाड़ी स्थित खटाल के पास अपनी 14 वर्षी बेटी और एक बेटा के साथ रहती थी। इसी दौरान आरोपित से उनकी जान पहचान हुई। इसी क्रम में उसके साथ वह पति-पत्नी की तरह बच्चों के साथ रहने लगी। कोर्ट को उसने बताया कि उसका पति निर्दोष है। पुलिस के दबाव में उसने पति को आरोपी बनाते हुए केस दर्ज किया था। उसकी बेटी के साथ उसके पति ने कोई गलत काम नहीं किया है। उसके पति का बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार था।
नाबालिग बेटी के बयान पर कोर्ट ने सुनाया फैसला
इस मामले में न्यायालय में नाबालिग लड़की का बयान 24 मई 2016 को दर्ज किया गया। उसने कोर्ट को बताया कि उसकी मां से शादी होने के बाद से ही उसका सौतेला पिता उस पर बुरी नजर रखता था। इसी दौरान एक दिन उसकी मां काम के सिलसिले में रात में बाहर गई। मौका देखकर सौतेले पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया। विरोध करने पर वह उसके भाई को जान से मारने की धमकी भी दी थी। इसके बाद वह करीब पांच से छह बार उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। इसी क्रम में वह गर्भवती हो गई। एक बच्ची हुई, जिसे सरकार की मदद से एक व्यक्ति ने गोद ले लिया।