कर्नाटक में शनिवार को 222 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे चुनाव पर खास नज़र रखी जा रही है और ये चुनाव राष्ट्रीय राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण है। दक्षिणी बेंगलुरू के जयानगर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार के निधन के चलते वहां पर मतदान नहीं हो रहा है।
भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव को जीवन और मौत का मिशन बनाकर लड़ती है। लेकिन, पिछले 22 वर्षों में अगर देखें तो जो पार्टी दिल्ली में सत्ता में होती है उसके उलट वहां पर सरकार बनती है।
कर्नाटक जीत के लिए पार्टियों की जी-तोड़ कोशिशों की खास वजह है-
कर्नाटक के लिए पंजाब के बाद कर्नाटक आखिर ऐसा महत्वपूर्ण राज्य है जहां पर वह सत्ता में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पर लगातार तंज कस रहे हैं और बोल रहे हैं कि वह पीपीपी (पंजाब, पुडुच्चेरी, परिवार) पार्टी बन जाएगी। और कर्टनाक एक एटीएम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस पुरानी पार्टी को अगर यहां पर जीत मिल जाती है तो इससे आगामी लोकसभा चुनाव 2019 से इतर इस साल के आखिर में होनेवाले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के चुनाव में मनोबल बढ़ेगा। कर्नाटक चुनाव की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दो वर्षों के लंबे अंतराल के बाद यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद चुनाव करने प्रचार में पहुंची।
बीजेपी इस बात की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस के किले से इसे खींच कर आखिरी पुरस्कार के तौर पर लिया जाए। आंध्र प्रदेश में एन. चंद्रबाबू नायडू का साथ छूटने के बाद बीजेपी अब यह उम्मीद कर रही है कि कर्नाटक में उसकी ये जीत दक्षिण की ओर कदम को एक नया जोश देगी।
इसके साथ ही, बीजेपी विरोधियों और सहयोगी दलों को 2019 के चुनाव से पहले इस बात का संदेश देना चाहती है कि वह अभी भी खास राष्ट्रीय पार्टी है।