राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील उन्नाव गैंगरेप केस में सीबीआई को मिले अहम सबूतों के बाद बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ पीड़िता की ओर से लगाए गए आरोपों को और बल मिला है। सीबीआई का कहना है कि उन्हें ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे कुलदीप सेंगर की इस मामले में संलिप्तता की बात सही साबित होती है। इसके अलावा मामले में पुलिस द्वारा शुरुआत में लापरवाही बरते जाने के भी सबूत मिले हैं।
गौरतलब है कि पीड़िता ने यह आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश के माखी गांव में पिछले साल 4 जून को विधायक सेंगर ने उसके साथ बलात्कार किया था कि जबकि सेंगर की महिला सहयोगी शशि सिंह गार्ड के तौर पर रूम के बाहर खड़ी थी। सीबीआई का कहना है कि फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट और घटनाक्रम को रिकंस्ट्रक्ट करने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि पीड़िता द्वारा लगाया गया रेप का आरोप सही है।
विधायक पर रेप का मुकदमा यूपी पुलिस की तरफ से केस दर्ज नहीं होने के बाद पीड़िता में इंसाफ मांगने गई। उधर, पीड़िता की पुलिस कस्टडी में मौत के बीद यूपी सरकार ने पूरा मामला एसआईटी को दिया। उसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने को कहा। इसके बाद सीबीआई ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मुकदमा 13 अप्रैल को दर्ज किया था।
सीबीआई ने अब तक इस मामले में आरोपी विधायक सेंगर, पीड़िता के पिता की पीट-पीट कर हत्या के आरोपी विधायक के भाई अतुल सेंगर, कुलदीप सेंगर की नजदीकी सहयोगी रही महिला शशि सिंह कई लोगों से पूछताछ की है। इसके साथ ही सीबीआई ने पूरे घटनाक्रम को क्रमवार तरीके से रीकंस्ट्रक्ट भी किया। पीड़िता ने 164 के तहत दर्ज बयान में घटना का जो ब्यौरा दिया है, वह सीबीआई द्वारा घटनाक्रम के रिकंस्ट्रक्शन में सही पाया गया।
इसके अलावा, सीबीआई का ये भी कहना है कि स्थानीय पुलिस ने इस केस में लापरवाही बरती और पिछले साल 20 जून के दर्ज किए गए केस में आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर और कुछ अन्य लोगों का नाम बाहर रखा। साथ ही, चार्जशीट दाखिल करने में भी देरी की गई थी। केन्द्रीय जांच एजेंसी ने मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़िता का बयान दर्ज किया था जिसमें वह अपने सभी आरोपों के साथ खड़ी थी। पीड़िता का सीआरपीसी 164 के तहत रिकॉर्ड किया गया बयान कोर्ट में साक्ष्य के तौर पर माना जाता है।