प्रेमरोग से हारा ‘थैलेसीमिया

प्रेमरोग से हारा ‘थैलेसीमिया

जीवनसाथी का समर्पण और प्यार व्यक्ति के जीवन से बड़ी से बड़ी बाधाओं को दूर करने में सहायक बन जाता है। फिर चाहें वो थैलेसीमिया जैसा गंभीर रोग ही क्यों न हो। दिल्ली के किरन और निखिल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। किरन को शादी से पहले जब पता चला कि निखिल को थैलेसीमिया है तो भी वह पीछे नहीं हटी। किरन ने न सिर्फ निखिल से शादी की, बल्कि इलाज के दौरान भी साथ रहीं।

निखिल अपने परिजनों के साथ द्वारका में दशरथपुरी में रहते हैं। उनकी किरन से शादी को तीन साल हो चुके हैं।  निखिल ने बताया कि किरन का साथ उन्हें हर कदम पर मिला है, खास बात यह है कि वह इस बात का अहसास भी नहीं करवाती हैं कि उन्हें यह (थैलेसीमिया) दिक्कत है। निखिल जहां दसवीं तक पढ़े हुए हैं, वहीं किरन बीए पास हैं। किरन इस राह में अकेली नहीं हैं, ऐसे कई मामले हैं जिनमें थैलेसीमिया ग्रसित पति-पत्नी एक दूसरे का साथ दे रहे हैं।

निखिल को हो चुकी हैं अब तक 8 सर्जरी

निखिल को इस बीमारी के बारे में तब पता लगा जब वह साढ़े तीन साल के थे। उनकी अब तक आठ सर्जरी हो चुकी हैं। इनमें उनकी गाल ब्लैडर, स्पिलन और हाल में हुई बोनमैरो ट्रांसप्लांट सर्जरी शामिल है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट के बाद उनके कान में भी दिक्कत हुई है। हालांकि वह कभी भी किसी सर्जरी को लेकर घबराये नहीं।

क्या होता है थैलेसीमिया

थैलेसीमिया एक जेनेटिक डिसऑर्डर होता है। जो माता-पिता से बच्चों में आता है। थैलेसीमिया कैरियर सामान्य जनसंख्या में होना सामान्य है। एक शोध के मुताबिक आईसीएमआर का रिसर्च है कि दिल्ली में हर साल 200 लोग थैलेसीमिया के साथ पैदा होते हैं। इनमें मरीज को हर महीने ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना पड़ता है। इसमें जहां हर साल 30 यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है वहीं, करीब 50 से 2 लाख रुपये का खर्च आता है।

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