कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में भी विपक्ष एकजुट नजर आएगा। शुक्रवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के बीच हुई बैठक में इन दोनों सीटों पर समझौते के तहत चुनाव लड़ने पर लगभग सहमति बन गई है। हालांकि अभी इस मुद्दे पर बसपा और कांग्रेस की मुहर लगनी बाकी है। सूत्र बताते हैं कि कैराना से सपा और नूरपुर से रालोद प्रत्याशी उतारेगा।
उपचुनाव में विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी मैदान में हों इसके लिए शुक्रवार को जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव से लखनऊ में उनके आवास पर मुलाकात की। बातचीत करीब तीन घंटे चली। सीटों के समझौते पर औपचारिक पुष्टि किसी दल ने नहीं की है। अलबत्ता रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा है कि दोनों नेताओं की बातचीत सकारात्मक रही है। दोनों सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। उपचुनाव के साथ ही दोनों दल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी एक साथ रहेंगे।
बताया जाता है कि अखिलेश यादव कैराना लोकसभा सीट पर सपा का प्रत्याशी उतारे जाने के फैसले पर अडिग रहे। जिसके बाद यह तय हुआ कि समझौते के तहत नूरपुर से रालोद अपना प्रत्याशी उतार सकता है। हालांकि अखिलेश यादव ने सीटों के समझौते के मुद्दे पर बसपा से सहमति लिए जाने की बात भी कही। सपा में जो चर्चाएं हैं उसके मुताबिक पार्टी कैराना लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री किरन पाल कश्यप को प्रत्याशी बना सकती है। साथ ही कई और नाम चर्चा में हैं। सपा का इस सीट से प्रत्याशी उतारने का तर्क है कि 2014 के चुनाव में इस सीट से पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। माना जा रहा है कि इस उपचुनाव में भी बसपा का समर्थन उसके साथ है।
सपा-रालोद के बाद कांग्रेस भी खोल सकती है पत्ते
उपचुनाव को लेकर ऊहापोह की स्थिति भी अब समाप्त हो जाने के आसार हैं। सपा-रालोद के बीच सहमति बनने के बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस भी अब शीघ्र अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी। अधिक संभावना यह है कि वह भी विपक्ष की एकता का भागीदार बने।