सेस लगा तो कम हो सकती है चीनी की मिठास

सेस लगा तो कम हो सकती है चीनी की मिठास

केंद्र सरकार गन्ना किसानों को बकाया भुगतान के लिए रकम जुटाने की कवायद में शुगर सेस (चीनी उपकर) लगा सकती है। जीएसटी परिषद की शुक्रवार को होने वाली बैठक में इस पर निर्णय हो सकता है। इससे चीनी की मिठास थोड़ी महंगी हो सकती है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये घर से ही परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। शुगर सेस लगाने का संकेत सरकार द्वारा बुधवार को कैबिनेट बैठक में गन्ना किसानों को सब्सिडी दिए जाने के फैसले के बाद मिला है। सूत्रों के अनुसार, जीएसटी परिषद में चीनी पर 5 फीसदी सेस लगाने पर चर्चा करेगी और अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई तो चीनी महंगी होनी तय है। सेस के पीछे सूत्रों का तर्क ये है गन्ना किसानों का बकाया 19,780 करोड़ रुपए चुकाने के लिए सरकार एक फंड बनाएगी। हालांकि राज्यों के अधिकारियों ने चीनी पर लगने वाले सेस पर भी असहमति जताई है।

दरअसल, दुनिया भर में चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन के बाद घरेलू और वैश्विक स्तर पर मांग सुस्त है और दाम तेजी से गिरे हैं। चीनी मिलों का कहना है कि उन्हें प्रति किलो चीनी पर 4-5 रुपये का घाटा सहना पड़ रहा है। इससे वे किसानों का बकाया चुकाने में असमर्थ हैं। चीनी उत्पादक तीन प्रमुख राज्य यूपी, महाराष्ट्र और कर्नाटक को मिलाकर मिलों पर किसानों का बकाया 18 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। केंद्र ने गन्ना किसानों का बकाया चुकाने के लिए मिलों को 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देने का फैसला किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उपकर लगाया जाता है तो यह सरल कर की प्रणाली जीएसटी के लिए झटका होगा। यह टैक्स के ऊपर टैक्स थोपने की नीति होगी।

इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने बताया कि चीनी की कीमतों में पिछले साल से 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। अगर एक्स मिल कीमत पर एक से डेढ़ रुपये बढ़ते भी हैं तो इसका खुदरा दामों पर असर न के बराबर होगा। ऐसे में अगर सेस लागू होता है, तो ग्राहकों पर कोई अनुचित बोझ नहीं आएगा। 30 जुलाई 2017 तक यह सेस लागू भी था और यह करीब 3-4 प्रतिशत था। एथेनाल के दाम बढ़ सकते हैं। सरकार चीनी के भंडारण में आने वाली लागत का बोझ भी वहन कर सकती है।

रिटर्न सरलीकरण पर भी फैसला संभव
जीएसटी परिषद की बैठक में रिटर्न के सरलीकरण पर फैसला हो सकता है। सरकार कारोबारियों की अड़चनें कम करने के लिए एक पेज के रिटर्न पर मुहर लग सकती है। इसमें हाइब्रिड मॉडल अपनाया जा सकता है। नए फार्मूले के तहत खरीदार को विक्रेता द्वारा बिल अपलोड करते ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ दिया जाएगा। अगर आपूर्तिकर्ता तीन माह के भीतर बिल अपलोड करने के साथ कर नहीं चुकाता है तो यह रिफंड वापस ले लिया जाएगा।

3.2 करोड़ टन हो सकता है उत्पादन : इस्मा
चालू गन्ना पेराई सत्र 2017-18 (अक्तूबर-सितंबर) में चीनी का उत्पादन 30 अप्रैल तक 3.1 करोड़ टन से ज्यादा हो चुका है। देश भर में 130 मिलों में पेराई अभी तक चल रही है। निजी चीनी मिलों का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक, इस साल देश में चीनी का उत्पादन रिकॉर्ड 320 लाख टन तक हो सकता है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने 30 अप्रैल तक सबसे ज्यादा 112 लाख टन चीनी का उत्पादन किया और 80 मिलों में अभी तक गन्ना पेराई चल रही है।

इन पर भी चर्चा संभव
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