कांग्रेस के दांव की काट और नाथपंथियों को लुभाने के लिए भेजे गए सीएम योगी

कांग्रेस के दांव की काट और नाथपंथियों को लुभाने के लिए भेजे गए सीएम योगी

गुजरात, हिमाचल और त्रिपुरा के बाद अब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्टार प्रचारक की भूमिका निभाने जा रहे हैं। वहां नाथ संप्रदाय का गहरा प्रभाव होने के कारण उन्हें त्रिपुरा की ही तरह बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।

भाजपा का मानना है कि कांग्रेस के अचूक लिंगायत दांव की काट के लिए प्रधानमंत्री मोदी के बाद योगी सर्वाधिक उपयुक्त प्रचारक साबित होंगे। कर्नाटक में नाथ संप्रदाय के 72 से ज्यादा मठ और मंदिर हैं। नाथ संप्रदाय की सबसे बड़ी पीठ गोरक्ष पीठ है जिसके महंत योगी आदित्यनाथ हैं। इस पीठ का महंत ही नाथ संप्रदाय के मठ-मंदिरों और महंतों की सबसे बड़ी संस्था ‘अखिल भारत वर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा’ का अध्यक्ष होता है।

भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने का ऐलान कर जो नुकसान पहुंचाया है, उसकी भरपाई मोदी के अलावा योगी ही कर सकते हैं क्योंकि जिस संप्रदाय के वह महंत हैं, कर्नाटक के समाज पर उसका काफी प्रभाव है। योगी को प्रचारक बनाने का एक कारण और है कि लिंगायत समुदाय के लोग भी नाथ संप्रदाय की ही तरह शैव भक्त होते हैं। ऐसे में योगी की बात का लिंगायतों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। .

योगी की कर्नाटक विशेषकर दक्षिणी कर्नाटक में 35 सभाएं कराने की योजना बनाई गई है। एक अनुमान के अनुसार कर्नाटक के 13 जिलों में नाथ संप्रदाय के लोग रहते हैं। वहां की ट्विन सिटी मंगलुरू और उडुपी के आसपास नाथ पंथ के कई मठ हैं। मंगलुरू का कदली मठ नाथ संप्रदाय का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है।

कदली योगेश्वर मठ-
नाथ पंथ पर काम करने वाले और योगी के विश्वासपात्र डॉ. प्रदीप राव के अनुसार श्री कदली योगेश्वर मठ का कर्नाटक में वैसा ही प्रभाव है जैसा गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर का। मान्यता है कि वहां के लोग महायोगी गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्र नाथ को विष्णु का और मंगला देवी को लक्ष्मी का अवतार मानते हैं। मंगला देवी के नाम पर ही उस स्थान का नाम मंगलौर पड़ा।

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