मुंबई के एक उपनगर में पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को दोषी करार दिया गया है। वहीं इस मामले में पत्रकार जिगना वोरा और पॉलसन को बरी कर दिया गया है। पत्रकार जे डे की हत्या 11 जून 2011 को मुंबई में हुई थी। आपको बता दें कि पिछले सात साल से ये मामला चल रहा था। इस मामले का दोषी माफिया डॉन छोटा राजन दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है।
मकोका की विशेष अदालत ने इस मामले की अंतिम सुनवाई इस साल फरवरी में शुरू की थी। सुनवाई के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर अडकर ने तीन अप्रैल को फैसले की तिथि दो मई मुकर्रर की थी। यह जांच पहले पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में इसकी जटिलता को देखते हुए इसे अपराध शाखा को सौंप दिया गया।
मकोका की विशेष अदालत ने इस मामले की अंतिम सुनवाई इस साल फरवरी में शुरू की थी। सुनवाई के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर अडकर ने तीन अप्रैल को फैसले की तिथि दो मई मुकर्रर की थी। यह जांच पहले पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में इसकी जटिलता को देखते हुए इसे अपराध शाखा को सौंप दिया गया। जांचकतार्ओं के अनुसार, माफिया डॉन राजेंद्र एस. निखलजे ऊर्फ छोटा राजन ने मुंबई के प्रसिद्ध अपराध संवाददाता डे को मारने के निर्देश दिए थे। इसके बाद छोटा राजन को नवंबर 2015 में इंडोनेशिया से भारत लाया गया। छोटा राजन की गिरफ्तारी के बाद, सीबीआई ने डे हत्याकांड की जांच दोबारा शुरू की और अपने पूरक आरोप-पत्र में उसे एक आरोपी बनाया। इस मामले के आरोपियों में मुंबई के पत्रकार जिगना वोरा शामिल हैं। इस मामले के 11वें आरोपी विनोद आसरानी उर्फ विनोद चेंबुर की एक निजी अस्पताल में अप्रैल 2015 में मौत हो गई थी। आसरानी कथित रूप से इस पूरे अभियान का मुख्य सह-साजिशकर्ता और धन प्रबंधक था। विशेष मकोका अदालत ने जून 2015 में वोरा समेत बाकी 10 आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय किए थे।
विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरात के अनुसार मामले के तीन आरोपियों ने अपराध में अपनी संलिप्तता को लेकर अदालत में बयान दर्ज करा दिया है। मुकदमे के दौरान कुल 155 गवाहों को पेश किया गया। उन्होंने कहा कि छोटा राजन के बयान को तिहाड़ जेल से वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिए रिकॉर्ड किया गया। उसे फैसले के दिन संभवत: यहां नहीं लाया जाएगा।
11 जून 2011 को मुंबई में हुई थी हत्या
56 वर्षीय ज्योतिर्मय डे अंग्रेजी सांध्य दैनिक मिड डे के संपादक(इनवेस्टिगेशन) थे। उन्हें 11 जून, 2011 को मध्य मुंबई के उपनगर पवई में उनके आवास के पास गोली मार दी गई थी। इस मामले में सनसनीखेज मोड़ तब आया था, जब पुलिस ने 25 नवंबर, 2011 को मुंबई के एक अंग्रेजी दैनिक की पत्रकार जिगना वोरा समेत 10 अन्य को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान पता चला था कि वोरा लगातार छोटा राजन के संपर्क में थीं और डे की हत्या के लिए उसे उसकाया था। इस हत्याकांड के लिए छोटा राजन को पांच लाख रुपये दिए जाने थे, जिसमें दो लाख रुपये अग्रिम दे दिए गए थे।
माफिया डॉन को ‘चिंदी’ बताया था
डे ‘खल्लास- एन ए टू जेड गाईड टू द अंडरवर्ल्ड’ और ‘जीरो डायल : द डेंजरस वर्ल्ड ऑफ इनफोरमर्स’ के लेखक थे। वे मौत से पहले अपनी तीसरी किताब ‘चिंदी : राग्स टू रिचेस’ लिख रहे थे। उन्होंने कथित रूप से अपनी आने वाली किताब में माफिया डॉन राजन की चिंदी (तुच्छ) के रूप में छवि गढ़ी थी, जिसने संभवत: छोटा राजन को उकसाने का काम किया।