सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसकी असल चिंता कठुआ मामले के मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई को लेकर है। शीर्ष कोर्ट ने साथ ही संकेत दिया कि यदि उसे जरा भी ऐसी संभावना लगी कि निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है तो इस मामले को कठुआ से बाहर स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई आरोपियों के लिये ही नहीं बल्कि पीड़ित परिवार के लिये भी निष्प्क्ष होनी चाहिए। साथ ही उनके वकीलों की भी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। कोर्ट इस मामले में अब 30 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा।
इससे पहले, बार काउंसिल आफ इंडिया ने पीठ को सूचित किया कि कठुआ जिले के वकीलों के संगठन ने ना तो अपराधा शाखा की आरोप पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया और न ही पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व कर रही वकील के काम में बाधा डाली। पीठ ने इस मामले में न्याय प्रशासन के काम में वकीलों द्वारा बाधा डालने के मुद्दे पर भी विचार किया और कहा, ”यदि वकील गलत थे तो उनके साथ कानून के अनुरूप पेश आया जायेगा।
पीड़िता के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत को इस मामले और इसकी सुनवाई की निगरानी करनी चाहिए। पीठ ने इस पर कहा कि मुकदमे की सुनवाई तेज करने का तात्पर्य यह नहीं है कि निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप आरोपियों ओर पीड़ित परिवार को उचित अवसर नहीं दिया जाएगा।