विश्व बैंक ने चालू वित्तवर्ष में भारत का विकासदर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। वैश्विक संस्था के जीएसटी लागू करने के बाद विकासदर में आई अल्पकालिक गिरावट की दौर से भारतीय अर्थव्यवस्था उबर चुकी है। वर्ष 2019-20 और 2020-21 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाएगी।
साल में दो बार जारी होने वाली साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा, भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार की बदौलत इस क्षेत्र ने दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र का दर्जा फिर से हासिल कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आर्थिक विकास दर 2017 में 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 7.3 प्रतिशत हो सकती है। निजी निवेश तथा निजी खपत में सुधार से इसके निरंतर आगे बढ़ने की उम्मीद है। अनुमान है कि देश की वृद्धि दर 2019-20 और 2020-21 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत हो जाएगी। भारत को वैश्विक वृद्धि का फायदा उठाने के लिए निवेश और निर्यात बढ़ाने का सुझाव दिया है।
विश्वबैंक ने माना कि जीएसटी लागू होने से भारत में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थी और इसका नकारात्मक असर पड़ा था। लेकिन अर्थव्यवस्था अब इससे उबर चुकी है और यह वित्तवर्ष 2019 में विकास दर को 7.4 फीसदी तक पहुंचाने में सहायक होगी।
चुनौतियां भी
बैंक ने कहा कि मध्य अविध में निजी निवेश की वापसी बड़ी चुनौती है। इसमें कई घरेलू बाधाए हैं,जैसे कॉरपोरेट पर बढ़ता कर्ज, नियामक और नीतिगत चुनौतियां। अमेरिका में ब्याज बढ़ने पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
हर साल 81 लाख नौकरियों की जरूरत
विश्वबैंक ने कहा, भारत को अपनी रोजगार दर बरकरार रखने के लिए सालाना 81 लाख रोजगार पैदा करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट के अनुसार हर महीने 13 लाख नए लोग कामकाज करने की उम्र में प्रवेश कर जाते हैं। विश्व बैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र के प्रमुख अर्थशास्त्री मार्टिन रामा ने कहा ,2025 तक हर महीने 18 लाख से अधिक लोग कामकाज करने की उम्र में पहुंचेंगे। अच्छी खबर यह है कि आर्थिक वृद्धि नई नौकरियां पैदा कर रही हैं।