कायदे-कानून सिर्फ आम आदमी के लिए हैं, अफसरों के लिए उनका कोई मतलब नहीं है। सचिवालय गुरुवार को एक बार फिर इस हकीकत से रूबरू हुआ। बैकडेट के एंट्री पास की वजह से सुरक्षा कर्मियों द्वारा रोके जाने पर शहरी विकास विभाग के संयुक्त निदेशक अभिषेक त्रिपाठी ने हनक दिखाते हुए सचिवालय के राजपुर रोड की दिशा वाले गेट के आगे कार अड़ा दी और चाबी लेकर भीतर चले गए। डेढ़ घंटे बाद जब ट्रैफिक पुलिस कार को क्रेन से उठाकर ले गई, तब जाकर सचिवालय का रास्ता खुल पाया। इस डेढ़ घंटे तक सचिवालय के गेट पर हंगामे की स्थिति रही।
मामला दोपहर करीब 12 बजे का है। सचिवालय के पिछले गेट से शहरी विकास विभाग की गाड़ी को प्रवेश करते देख वहां तैनात सुरक्षा कर्मियों ने रोक लिया। गाड़ी के एंट्री पास की मियाद वर्ष 2017 में खत्म हो चुकी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कर्मचारियों के आपत्ति करने पर संयुक्त निदेशक नाराज हो गए। उन्होंने कार को ठीक गेट के सामने रुकवाया और चाबी निकाल कर भीतर चले गए। भीतर जाते वक्त वो सुरक्षा कर्मियों पर बरसते भी रहे। कार के गेट के ठीक सामने खड़ी हो जाने से रास्ता बंद हो गया।
कुछ ही देर में देहरादून के डीएम एसए मुरुगेशन वहां आए। कार के ठीक गेट के सामने होने से उनकी गाड़ी भीतर नहीं जा पाई। डीएम ने संयुक्त निदेशक के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कर्मचारियों को तत्काल कार्रवाई के लिए कहा। कर्मचारियों ने इसकी सूचना ट्रैफिक पुलिस को दी। कुछ देर बाद ट्रैफिक पुलिस और सीपीयू क्रेन लेकर वहां पहुंची और कार को अपने साथ ले गई। सचिवालय सुरक्षा प्रभारी जीवन सिंह बिष्ट ने बताया कि इस मामले में कर्मचारियों से रिपोर्ट ली जा रही है। सचिवालय प्रशासन को भी इस घटना से अवगत कराया जाएगा।
शहरी विकास सचिव ने भी लिया पक्ष
सुरक्षा कर्मचारियों ने मामले की शिकायत शहरी विकास सचिव आरके सुंधाशु से की। उस वक्त संयुक्त निदेशक वहीं मीटिंग में बैठे थे। सुरक्षा प्रभारी जीवन सिंह बिष्ट व अन्य सुरक्षा कर्मियों ने सुधांशु को बताया कि कार पास की मियाद खत्म होने की वजह से उन्हें रोका गया था। यह ड्यूटी का हिस्सा है। आमतौर पर कर्मी अफसरों को जाने देते हैं पर जिस प्रकार आज अभद्रता की गई, उससे कर्मचारियों का मनोबल टूटा है। इस पर शहरी विकास सचिव ने कहा कि संयुक्त निदेशक को उन्होंने ही बैठक के लिए बुलाया था। सचिव को ज्यादा गंभीरता न दिखाता देख सुरक्षा कर्मचारी मायूस होकर लौट गए।