दर्द में भी भारत को दिलाया ‘गोल्ड’, इस बात से खफा हैं सतीश

दर्द में भी भारत को दिलाया ‘गोल्ड’, इस बात से खफा हैं सतीश

मौजूदा चैंपियन भारोत्तोलक सतीश कुमार शिवालिंगम (77 किग्रा) ने जांघ में दर्द के बावजूद 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को शनिवार को यहां तीसरा गोल्ड मेडल दिलाया। सतीश ने कुल 317 किग्रा (144 किग्रा+173 किग्रा) भार उठाया और वो अपने प्रतिद्वंद्वियों से इतने आगे हो गए कि क्लीन एंड जर्क में अपने आखिरी प्रयास के लिए नहीं गए।

सतीश ने गोल्ड मेडल लेने के बाद कहा, ‘राष्ट्रीय चैंपियनशिप में क्लीन एंड जर्क में 194 किग्रा भार उठाने की कोशिश में मेरी जांच में चोट लग गई थी और मुझे यहां मेडल जीतने की उम्मीद नहीं थी। ये मांसपेशियों से जुड़ी समस्या है। मैं अब भी पूरी तरह फिट नहीं था लेकिन मुझे खुशी है कि मैं तब भी गोल्ड मेडल जीतने में सफल रहा।

तमिलनाडु के इस वेटलिफ्टर ने कहा, ‘मेरी जांघ में इतना दर्द हो रहा था कि मेरे लिए बैठना भी मुश्किल था। सभी मेरा ध्यान रख रहे थे जिससे मेरी उम्मीद बंधी लेकिन मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था। मैंने कड़ी प्रैक्टिस नहीं की थी और मेरा शरीर अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं था, इसलिए मैं गोल्ड मेडल की उम्मीद कैसे कर सकता था।’ स्नैच में सतीश और इंग्लैंड के सिल्वर मेडलिस्ट विजेता जैक ओलाइवर के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। ओलाइवर आखिर में स्नैच में आगे रहने में सफल रहे क्योंकि उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 145 किग्रा भार उठाया था।

आखिर में हालांकि सतीश क्लीन एंड जर्क में बेहतर प्रदर्शन करके अपना खिताब बचाने में सफल रहे। ओलाइवर 171 किग्रा के दोनों प्रयास में नाकाम रहे और उन्हें इस तरह से 312 किग्रा (145 किग्रा+167 किग्रा) के साथ सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया के फ्रैंकोइस इतोंडी ने 305 किग्रा (136 किग्रा+169 किग्रा)  भार उठाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता।

सतीश ने कहा, ‘मैं भाग्यशाली रहा। अगर वो (ओलाइवर) उन दो प्रयास में नाकाम नहीं रहता तो फिर मुझे उससे अधिक भार उठाना पड़ता और मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि मेरा शरीर उसकी इजाजत देता या नहीं। मैं वास्तव में काफी राहत महसूस कर रहा हूं।’ सतीश ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्नैच में 149 और क्लीन एंड जर्क में 179 किग्रा सहित कुल 328 किग्रा भार उठाकर गोल्ड मेडल जीता। उनका स्नैच में 149 किग्रा भार अब भी CWG का रिकॉर्ड है।

उन्होंने कहा, ‘मैं उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया क्योंकि मुझे अब भी रिहैबिलिटेशन की जरूरत है। यहां तक कि फिजियो नहीं होने से स्थिति और मुश्किल बन गई। उम्मीद है कि एशियाई खेलों में हमारे साथ फिजियो रहेगा।’ प्रतियोगिता स्थल पर फिजियो नहीं होने के कारण भारोत्तोलकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सतीश कॉमनवेल्थ गेम्स के मौजूदा गोल्ड मेडलिस्ट विजेता भी हैं।

उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि मैं एशियाई खेलों में इससे भी बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहूंगा क्योंकि उसमें अभी समय है। इससे पहले कॉमनवेल्थ गेम्स के 20-25 दिन बाद एशियाई खेल हो जाते थे जिससे हमें तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता था लेकिन इस बार मेरे पास पूरी तरह फिट होने और तैयारियों के लिये पर्याप्त समय है।’

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