दलितों को लेकर अब नगीना के सांसद डा. यशवंत सिंह का पत्र वायरल हुआ है। पत्र प्रधानमंत्री को लिखा गया है। पत्र में लिखा गया है कि दलित सांसद, समाज की रोज-रोज की प्रताड़ना के शिकार हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि आरक्षण के कारण ही वह सांसद बने, लेकिन उनकी योग्यता का उपयोग नहीं हो रहा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से दलित समाज के लिए आरक्षण बिल पास कराने, कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की बात कही है। इस संबंध में डा. यशवंत से सम्पर्क नहीं हो सका। घर पर उनके भाई राकेश ने बताया कि वे विदेश गए हुए हैं। पत्र दो अप्रैल का है।
डॉ सिंह ने कहा कि सरकार विशेष भर्ती अभियान के जरिए बैकलॉग पूरा कराए, प्रमोशन में आरक्षण दिलाए और निजी क्षेत्र में आरक्षण हो. पत्र में एससी एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को पैरवी कर पलटवाने की अपील भी की गई है.
गौरतलब है की शुक्रवार को इटावा से दलित सांसद सांसद अशोक दोहरे ने भी अपनी ही पार्टी की राज्य सरकार से हुए नाराज होकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी. शिकायत में अशोक दोहरे ने कहा है कि 2 अप्रैल को ‘भारत बंद’ के बाद एससी/एसटी वर्ग के लोगों को उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में सरकारें और स्थानीय पुलिस झूठे मुकदमे में फंसा रही है उन पर अत्याचार हो रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस निर्दोष लोगों को जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए घरों से निकाल कर मारपीट कर रही है. इससे इन वर्गों में गुस्सा और असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है.
वहीं 5 अप्रैल को यूपी के रॉबर्ट्सगंज से बीजेपी के दलित सांसद छोटेलाल ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे और बीजेपी नेता सुनील बंसल की भी शिकायत की थी. चिट्ठी में सांसद छोटेलाल ने लिखा है कि जिले के आला अधिकारी उनका उत्पीड़न कर रहे हैं.
सांसद छोटेलाल ने चिट्ठी में कहा है कि शिकायत लेकर वो सीएम योगी से दो बार मिले लेकिन उन्होंने डांट कर भगा दिया. पीएम मोदी ने सांसद छोटेलाल को उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है. ये पहला मौका नहीं है जब यूपी के किसी नेता ने सीएम योगी से नाराजगी जताई है. इससे पहले बीजेपी की दलित सांसद सावित्री बाई फुले ने भी सरकार से नाराजगी जताई थी. उससे पहले सहयोगी ओम प्रकाश राजभर भी सीएम योगी से ख़फ़ा थे.