अब ज्यादा बिजली खपत करने पर बिजली महंगी मिलेगी। टाटा स्टील लिमिटेड ने बिजली के फिक्सड चार्ज में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पांच गुना बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है।
कंपनी ने 13 रुपये से फिक्सड चार्ज बढ़ाकर 65 रुपये, जबकि एचटी लाइन में 320 से बढ़ाकर 385 रुपये करने का प्रस्ताव दिया है। वहीं, मीटर चार्ज को 20 से बढ़ाकर 25 रुपये करने की मांग की है। साथ ही एनर्जी चार्ज के तहत 400 यूनिट से अधिक की खपत पर प्रति यूनिट 45 पैसे बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है।
मंगलवार को झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा इस संबंध में गोलमुरी स्थित ट्यूब मेकर्स क्लब में जनसुनवाई हुई। इसमें अधिकतर उपभोक्ताओं ने कंपनी के बढ़ोतरी प्रस्ताव का विरोध किया। जबकि जुस्को के अधिकारी वीपी सिंह ने बताया कि पिछले पांच वर्षों का रेवेन्यू गैप बढ़कर 1269 करोड़ रुपये हो चुका है। इस गैप को कम करने के लिए बढ़ोतरी अनिवार्य है। उन्होंने तर्क दिया कि बिल में फिक्सड व एनर्जी चार्ज होता है। कंपनी ने सामान्य उपभोक्ताओं के एनर्जी चार्ज में किसी भी तरह की बढ़ोतरी का प्रस्ताव नहीं दिया है, जबकि फिक्सड चार्ज में प्रति यूनिट औसतन 2 से 4 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है, जो कंपनी और उपभोक्ता, दोनों के लिए हितकर है। सभी पक्षों को सुनने के बाद आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद प्रसाद ने 10 अप्रैल तक उपभोक्ताओं से प्रस्ताव पर लिखित आपत्ति मांगी है। जबकि कंपनी से पर्चेज कास्ट की विस्तृत रिपोर्ट जमा करने को कहा है। समीक्षा के बाद ही बढ़ोतरी प्रस्ताव पर निर्णय लिया जाएगा। इस मौके पर आयोग के तकनीकि सदस्य आरएन सिंह ने भी कंपनी के अधिकारियों से सवाल-जवाब किए। जनसुनवाई का संचालन सचिव एके मेहता ने किया।
राष्ट्रीय अनुपात में फिक्सड चार्ज में बढ़ोतरी जरूरी : बकौल वीएन सिंह, राष्ट्रीय अनुपात के तहत एनर्जी चार्ज में 58 और फिक्सड चार्ज 42 प्रतिशत तक होना चाहिए। लेकिन टाटा स्टील में यह अनुपात 91 और 9 प्रतिशत है। वहीं, 2011 से 2015 के बीच फिक्सड रेट में बढ़ोतरी के प्रस्ताव के बावजूद कंपनी ने बिना आयोग की अनुमति के इसे नहीं बढ़ाया।
बिजली खरीदने पर दें रिपोर्ट : जनसुनवाई में आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद ने कंपनी के अधिकारियों से पूछा कि वे दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) व टाटा पावर से बिजली खरीद रहे हैं, इस पर रिपोर्ट दें। अन्य राज्य की बिजली वितरण कंपनी से किस दर पर बिजली खरीद रहे हैं, ये भी बताएं। उन्होंने कहा कि टाटा पावर ने जब अपने बिजली की दर में बढ़ोतरी की तो उपभोक्ता होने के नाते टाटा स्टील ने इस पर आपत्ति जाहिर नहीं की, क्योंकि वे इसका भार दूसरे उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं। अध्यक्ष ने बताया कि विगत वर्षों में पावर पर्चेज काफी कम हुए हैं। अक्षय ऊर्जा प्रति यूनिट घटकर 2.50 रुपये प्रति यूनिट हो गई है। कंपनी अगर अपने रेवेन्यू का 89 प्रतिशत खर्च पर्चेज पर ही करती है तो यह जरूरी है कि कंपनी क्वालिटी बनाए रखते हुए पर्चेज कास्ट पर भी ध्यान केंद्रित करे। तभी उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल पाएगी। अध्यक्ष ने कंपनी के टीएंडडी लॉस, शून्य कट, प्रशासनिक व्यवस्था को भी सराहा।