बिहार में बंद के दौरान जाम में फंसने से तीन की मौत

बिहार में बंद के दौरान जाम में फंसने से तीन की मौत

एससी/एसटी के मुद्दे पर भारत बंद का पटना समेत बिहार के कई शहरों में व्यापक असर रहा। बंद समर्थकों ने जगह-जगह सड़क जाम किया, ट्रेनें रोकीं। कई जगहों पर आगजनी भी की। जाम के कारण बड़ी संख्या में वाहन घंटों फंसे रहे। नवजात शिशु समेत तीन की अस्पताल समय से न पहुंच पाने के कारण मौत हो गई। बंद का समर्थन सभी गैर एनडीए दलों ने किया। इस मुद्दे पर राजद, कांग्रेस, हम, सपा, जाप (लो), भाकपा माले और भाकपा के नेता और कार्यकर्ता सड़क पर उतरे।

बंद के दौरान हुए उपद्रव पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दोपहर में पटना के एसएसपी को तलब किया। पूछा कि बंद के दौरान रास्ता जाम करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। साथ ही, मौखिक निर्देश दिया कि जिनके इशारे पर जाम किया गया, उनके खिलाफ कार्रवाई करें। हाजीपुर में एंबुलेंस के जाम में फंस जाने से बीमार नवजात शिशु की मौत हो गई। मुजफ्फरपुर में एक महिला ने समय से अस्पताल न पहुंच पाने के कारण रास्ते में दम तोड़ दिया। भभुआ में छत से गिरकर घायल अधेड़ को जाम के कारण हास्पिटल नहीं पहुंचाया जा सका। उसकी भी रास्ते में मौत हो गई।  बंद के कारण पूर्व मध्य रेलवे ने तीन एक्सप्रेस और 17 पैसेंजर ट्रेनें रद्द कर दीं। दर्जनभर से ज्यादा ट्रेनों को बीच रास्ते रोकना पड़ा। यात्रियों को काफी परेशानी हुई। मुजफ्फरपुर में सत्याग्रह एक्सप्रेस में तोड़फोड़ व पथराव किया गया। कई यात्री चोटिल हुए।

बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में भी यह मुद्दा उठा। इस मुद्दे को लेकर हंगामे और नारेबाजी के कारण विधानसभा महज 23 मिनट ही चली, जबकि विधान परिषद में विपक्ष ने पहली पाली में प्रश्नकाल बाधित किया और दूसरी पाली में  वाकआउट किया। बंद के दौरान राज्यभर में 3619 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। एडीजी मुख्यालय एसके सिंघल ने बताया कि यह संख्या और बढ़ सकती है। जिलों से रिपोर्ट मांगी जा रही है। यह गिरफ्तारी निरोधात्मक कार्रवाई के तहत की गई है।

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