जंगल के चेकडैम में जमा पानी सामान्य पीने के पानी की अपेक्षा बेहतर गुणवत्ता वाला है। दो प्रयोगशालाओं में चेकडैम के पानी की जांच में यह सुखद परिणाम सामने आया है।
अधिकारियों ने बताया कि जिन पानी के नमूनों की जांच कराई गई- वे संथाल परगना, हजारीबाग और रांची जिलों से लिए गए थे। ये सभी चेकडैम जंगल में वन विभाग ने ही बनवाए हैं। पानी के नमूनों की जांच प्रदूषण नियंत्रण पर्षद और एक निजी प्रयोगशाला में कराई गई। खास बात यह है कि इसकी गुणवत्ता फिल्टर पानी से भी बेहतर है।
पानी की गुणवत्ता उत्तम
प्रयोगशालाओं में पानी की गुणवत्ता की जांच के परिणाम से उत्साहित अधिकारियों ने बताया कि सामान्य पीने के पानी में दो प्रमुख तत्वों की उपलब्धता देखी जाती है। पहला बायोकेमिकल अथवा बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और दूसरा ई-कोलाई। पानी में बीओडी अधिकतम छह तक पीने के लिए अच्छा माना जाता है, जबकि चेकडैम के पानी में बीओडी मात्र एक से दो ही मिला है। इसी प्रकार पेयजल में ई-कोलाई की उपलब्धता 50 तक मान्य है। मगर चेकडैम के पानी में यह मात्र 1.6 ही पाई गई। यह मात्रा पीने के पानी में उत्तम माना जाता है।
प्राकृतिक कारणों से इतना साफ पानी
अधिकारियों ने चेकडैम में इतनी बेहतर गुणवत्ता के पानी की वजह बताया। उनका कहना है कि चेकडैम का पानी प्राकृतिक रूप से जमीन के नीचे से बहते हुए जमा हुआ है। इस प्रक्रिया से पानी कम प्रदूषित होता है और उसकी गुणवत्ता बेहतर बनती है। इसलिए वन मंत्रालय चाहता है कि जंगल में होने वाली वर्षा का पानी ऊपर से बहने के बजाय अंदर-अंदर बहते हुए नदी, तालाब, चेकडैम तक पहुंचे। इस प्रकिया से बारिश का पानी प्राकृतिक रूप से साफ होता चला जाता है।
पानी की जांच के परिणाम बेहद उत्साहजनक
जंगल के चेकडैम के पानी की जांच के परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं। संथाल परगना, हजारीबाग और रांची के चेकडैम का पानी तो सामान्य पेयजल से भी उच्च गुणवत्ता वाला है। – संजय कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, झारखंड
जल में आवश्यक गुण
– दिखने वाले कण और जीव-वनस्पति नही हों।
– हानि पहुंचाने वाले सूक्ष्म जीव या कण न हों।
– जल का पीएच संतुलित हो।
– जल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन हो।
प्रदूषित जल
– उपरोक्त चारों गुण यदि ना हों तो जल उपयोग के लायक नही है।
– कल-कारखानों से निकला औद्योगिक कचरा भूमिगत जल-स्रोतों में खतरनाक रसायन मिलाकर उसे प्रदूषित करता है।
– भूमिगत जल-स्रोतों के अत्यधिक दोहन से अनेक तत्वों की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंची।
– इसको हम पीपीएम में मापते हैं जिसका अर्थ होता है पार्ट प्रति मिलियन।
– ऑक्सीजन को बीओडी (बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) और सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) में मापते हैं।
– साधारण जल का पीएच (पॉवर ऑफ हाइड्रोजन) 7 होता है।
– इससे ज्यादा हुआ तो जल क्षारीय और कम हुआ तो अम्लीय होता है।
जल पर एक नजर
1869 अरब घनमीटर सालाना जल उपलब्ध है देश में
1123 अरब घनमीटर ही उपयोग लायक पानी है
690 अरब घनमीटर सतही जलस्रोतों से आता है पानी
433 अरब घनमीटर भूमिगत स्रोतों से सालाना मिलता है
6042 घनमीटर प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता थी 1047 में
1545 घनमीटर प्रति व्यक्ति रह गई 2011 में
1340 घनमीटर प्रति व्यक्ति सालाना रह जाएगी 2025 तक
1140 घनमीटर प्रति व्यक्ति सालाना तक गिर जाएगी 2050 तक
74 प्रतिशत तक घट गई है देश में प्रति व्यक्ति सालाना जल उपलब्धता, आजादी के बाद
58 प्रतिशत पानी ही वापस जमीन के अंदर पहुंच पाता है उपयोग किया पानी
85 प्रतिशत तक भूजल दोहन हो जाएगा यूपी में दो साल में
25 फीट नीचे चला जाएगा पानी बिहार में दस साल में
04 मीटर तक नीचे चला गया है जल झारखंड में पिछले दस सालों में
04 मीटर तक नीचे गिरा है पानी का स्तर उत्तराखंड में पिछले बीस सालों में