केंद्रीय सतर्कता आयोग विशिष्ट पहचान संख्या आधार के जरिये गैर-कानूनी कमाई का पता लगाकर भ्रष्ट अधिकारियों की नकेल कसने की तैयारी कर रहा है।
सीवीसी ने रविवार को कहा कि विभिन्न प्रकार के वित्तीय लेनदेन तथा संपत्ति सौदों के लिए आधार अनिवार्य है, ऐसे में इसका इस्तेमाल भ्रष्ट अधिकारियों की अवैध कमाई का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
सीवीसी को उम्मीद है कि किसी व्यक्ति के स्थायी खाता संख्या (पैन) और आधार कार्ड के जरिये यह जानने में मदद मिल सकती है कि कार्डधारक द्वारा किया गया वित्तीय सौदा उसकी आमदनी के दायरे में है या नहीं। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी ने कहा, हमने अवधारणा पत्र तैयार किया है। इसके पीछे विचार किसी तरह की परिचालन वाली प्रक्रिया बनाने या संभव हो सके तो सॉफ्टवेयर तैयार करने का है।
चौधरी ने कहा कि अचल संपत्तियों और शेयरों से संबंधित वित्तीय लेनदेन के आंकड़े आयकर विभाग प्राधिकरण, पंजीकरण विभागों या वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) और अन्य सरकारी एजेंसियों के कार्यक्षेत्र में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि आधार को कुछ वित्तीय लेनदेन के लिए अनिवार्य कर दिया गया है, ऐसे में सीवीसी कुछ केंद्रीयकृत एजेंसियों से आंकड़े जुटाने की स्थिति में है। इन सूचनाओं के जरिये यह पता लगाया जा सकता है कि संबंधित व्यक्ति ने कोई लेनदेन किस उद्देश्य से किया है। साथ ही इससे आय से अधिक संपत्ति का भी पता लगाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भ्रष्टाचारमुक्त भारत की सोच के अनुरूप भ्रष्टाचार को पूरी तरह समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में व्यक्तियों या आडिटरों की भूमिका जैसे मानवीय पहलुओं को देखने के बाद जांच के जरिये किसी तरह की गड़बड़ी करने या उसे छिपाने के लिए प्रौद्योगिकी का कैसे इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी तरह के साफ्टवेयर की तैयारियों, मानक परिचालन प्रक्रियाओं और संभवत: कुछ मंजूरियों की जरूरत होगी।