जानें…कैसे तिब्बत की ये बेसहारा लड़की बनी भारत की ‘मार्शल आर्ट’ चैंपियन

जानें…कैसे तिब्बत की ये बेसहारा लड़की बनी भारत की ‘मार्शल आर्ट’ चैंपियन

भारत में आज क्रिकेट, बैडमिंटन, बॉक्सिंग और रेसलिंग कुछ ऐसे चुनिंदा खेल हैं जहां से निकलने वाले खिलाड़ी शौहरत की बुलंदियों को छू जाते हैं। इन खेलों में भारत का नाम रोशन करने वाले, ‘स्टार खिलाड़ी’ कहलाते हैं। लेकिन इन सबके बीच कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो देश को गौरव दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन उन्हें पहचानने वाला कोई नहीं है।

ऐसी ही एक शानदार खिलाड़ी है तेंजिन पेमा जिसने भारत के लिए कई गोल्ड, सिल्वर और बॉन्ज मेडल जीते हैं। 24 साल की मिक्स्ड मार्शल आर्ट (MMA) प्लेयर तेंजिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर का लोहा मनवा चुकी है। हाल ही में बैंकोक में हुए तीसरे ‘International Thai Martial Arts Games And Festival 2021’ में तेंजिन ने देश के लिए 2 सिल्वर मेडल जीते। ये पदक उसने किकबॉक्सिंग खेल में हासिल किए।

ऐसा रहा तिब्बत से भारत का सफर
तेंजिन पेमा भारत की एकमात्र ऐसी किकबॉक्सर है जो मूल रूप से तिब्बत देश की है। दरअसर कई साल पहले उसके के माता-पिता बाकी लोगों की तरह सुनहरे जीवन की खोज में सिक्कम आकर बस गए। 1994 में तेंजिन का जन्म हुआ, लेकिन परिवार के पास भारत की नागरिकता नहीं थी।

3 साल की उम्र से कठनाइयों से लड़ रही तेंजिन
जब वो तीन साल की थी जब उसके जीवन में सबसे बड़ा दुख आया, जब उसकी मां का निधन हो गया। कुछ साल बाद तेंजिन के पिता का भी निधन हो गया। तब सात साल की बेसहारा लड़की पराए देश में अपनी पेहचान के लिए लड़ने लगी। वो कभी परिवार के दोस्तों के पास रही तो कभी रैन बसेरों में जाकर। लेकिन बचपन से ही मोहम्मद अली के वीडियो देखने वाली तेंजिन के भीतर बॉक्सिंग करने का शौक पैदा हो चुका था।

इस तरह शुरू हुआ MMA चैंपियन बनने का सफर 
तेंजिन ने 2013 में स्कूल लेवल पर बॉस्किंग टूर्नामेंट में हिस्सा लेना शुरू किया। इस दौरान भारत सरकार की ‘Khelo India’ पहल ने उसके हुनर को पहचाना और उसे प्रोफेशनल ट्रेनिंग देने का निर्णय किया। तेंजिन 2016 में दिल्ली आई और इंदिरा गांधी नेशनल स्टेडियम में बॉक्सिंग की कोचिंग लेने लगी। लेकिन भारत में बॉक्सिंग की कठिन चुनौती को देखते हुए उसने मिक्स्ड मार्शल आर्ट (MMA) खेलने का फैसला किया, जिसका हिस्सा ‘Kickboxing’ है।

अब भी पहचान की मोहताज है तेंजिन
तेंजिन ने 2016 में कई इंटरनेशनल मेडल भारत को दिलाए हैं। वो मौजूदा समय में भारत की सबसे प्रमुख किकबॉक्सिंग खिलाड़ी है। लेकिन फिर भी तेंजिन पेमा आज अपनी सही पहचान की मोहताज है। भारत में लोगों के लिए ‘किकबॉक्सिंग’ खेल जितना नया है, उतना ही नया है लोगों के लिए तेंजिन का नाम। लेकिन इसका कारण भारत सरकरा और स्पोर्ट्स संस्थान है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) ने भले ही तेंजिन को मुफ्त में प्रेक्टिस की सुविधा दी है लेकिन आज भी उसे भारतीय नागरिकता दिलाने को लेकर संस्थान ने कोई कदम नहीं उठाया है। उसे आज भी विदेशों में खेलने के लिए तिब्बत के रिफ्यूजी पासपोर्ट के जरिए वीजा लेना पड़ता है, जिसमें कई परेशानियां होती हैं। इसके अलावा तेंजिन कहती है कि देश के लिए मेडल लाने वाले दूसरे खेलों के खिलाड़ियों को पुरस्कार और नौकरी दी जाती हैं, लेकिन मुझे इससे वंचित रखा गया है।

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