मन में विश्वास हो, तो सौ मुश्किलें भी रास्ता नहीं रोक सकती हैं। खुद को वैज्ञानिक मानने वाले 61 वर्षीय माइक ह्यूग्स भी ऐसी शख्सियत हैं। उन्हें लगता था कि यह धरती गोल नहीं सपाट है। अपनी बात को पुख्ता तौर पर वह तभी साबित कर सकते थे, जब वह खुद इतनी ऊंचाई से धरती का मुआयना करें। इसलिए उन्होंने आसमान में 1875 फीट ऊंची छलांग लगा दी। यह अलग बात है कि उनकी वापसी मोहावी रेगिस्तान में क्रैश लैंडिंग के तौर पर हुई, मगर इस प्रयोग में उन्हें कोई क्षति नहीं पहुंची है।
कैलिफोर्निया के एमबॉय के पास माइक ने कहा कि वह अपनी कोशिश से खुश हैं। पेशे से इंजीनियर माइक नवंबर में ही अपने मिशन को अंजाम देना चाहते थे। मगर ब्यूरो ऑफ लैंड मैनेजमेंट और कुछ तकनीकी खामियों के कारण यह बार-बार टल जा रहा था। अपने रॉकेट लांच के लिए उन्होंने मोबाइल घर को रैंप में तब्दील किया और उसमें सुधार कर रॉकेट लांच के लिए खड़ा आधार दिया। इससे पहले कई महीनों तक उन्होंने अपने घर के गैराज में रॉकेट को आकार देने के लिए पसीना बहाया।
अंतरिक्ष में अपनी उड़ान के दिन शनिवार को भी उन्हें यकीन नहीं था कि उसका सपना पूरा हो जाएगा। उन्हें लगा था एक बार फिर उनका रॉकेट लांच टल जाएगा। रॉकेट का लांच करने के लिए 350 पीएसआई आ उछाल चाहिए था, मगर यह 340 तक ही पहुंच पा रहा था। माइक के मिशन में उनकी मदद कर रहे वाल्डो स्टेक्स ने कहा कि उन्होंने रॉकेट को चार्ज करने की सलाह दी जिससे वह गर्म हो सके। मगर माइक ने इसके लिए मना कर दिया। अचानक तीन बजे, बिना किसी काउंटडाउन के उनका रॉकेट आसमान में उड़ गया।