नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी) के वर्तमान स्वरूप को डॉक्टर मानने को तैयार नहीं हैं, उनका कहना है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर लाए जा रहे इस बिल में कई चीजें संसदीय समिति की कई बातों को दरकिनार कर दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो देश भर के 13 लाख डॉक्टर एलोपैथ डॉक्टर और मेडिकल कॉलेजों के छात्र दो अप्रैल को हड़ताल करेंगे।
एनएमसी बिल में सरकार के आगे डॉक्टरों की क्या रणनीति होगी, इसी मुद्दे पर डॉक्टरों ने रविवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में महापंचायत की, जिसमें 20 हजार से ज्यादा डॉक्टर 16 राज्यों से आये। डॉक्टरों ने एनएमसी बिल पर संसदीय समिति को पूरी तरह से खारिज कर दिया। वहीं आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर ने बताया कि वर्तमान में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्वरूप में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। उनका कहा कि अगर मौजूद एनएमसी बिल को वर्तमान स्वरूप में बदलाव नहीं किया जाताहै।
तो देश के 10 लाख डॉक्टर और 3 लाख मेडिकल छात्र काम बंद करेंगे। इस दौरान डॉ. विनय अग्रवाल ने बताया कि डॉक्टरों के खिलाफ हो रही हिंसा पर अपनी आवाज उठाई, उन्होंने कहा कि कोई भी डॉक्टर अपनी मर्जी से गलत कदम नहीं उठाता। इस दौरान आईएमए ने मामूली क्लीनिकल त्रुटि के लिए केस दर्ज न करने की मांग की। वहीं महापंचायत में शिरकत कर रहे डॉ. अंकित ओम ने भी एमएनसी बिल को डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और मरीजों के लिए मुसीबत वाला बताया। फोर्डा अध्यक्ष डॉ. विवेक चौकसे ने भी बिल की उपयोगिता पर सवाल उठाए।एम्स आरडीए अध्यक्ष डॉ. हरजीत सिंह भाटी ने कहा कि सभी मेडिकल छात्र को इस आंदोलन में साथ आने को कहा है।
ये सुझाव दिए गये
डॉ. रवि वानखेड़कर का कहना है कि एमसीआई में कुछ सुधार हो सकते हें। इसके लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की सर्विस कंडीशन यूजीसी के इतर एमसीआई को मिलना चाहिए। वहीं नए मेडिकल कॉलेज को खोलने के लिए नया मास्टर प्लान होना चाहिए। कॉलेज वहां खोले जाने चाहिए जहां पहले से कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है। साथ ही स्थानीय मेडिकल छात्रों से यह शर्त भी रखवानी चाहिए कि वह पास होने के बाद 10 साल तक वहीं प्रैक्टिस करेंगे। वहीं स्थानीय छात्रों को आरक्षण मिलना चाहिए।