लखनऊ, बुलंद आवाज़ | सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को तब्लीग़ी जमात की छवि को ख़राब करने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ठोस हलफ़नामा दाख़िल नहीं करने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई है | जमीयत-उलेमा-हिंद ने निज़ामुद्दीन मरकज़ मामले की मीडिया कवरेज को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी | दरअस्ल मीडिया का एक तबक़ा कोविड-19 महामारी की शुरुआत में तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक नफ़रत फैला रहा था |इसी मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायलय में ये याचिका दाखिल की गई थी |
चीफ़ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा कि बोलने की आज़ादी का हाल के दिनों में बहुत ज़्यादा दुरुपयोग हुआ है | सुप्रीम कोर्ट ने एक जूनियर अधिकारी के माध्यम से हलफ़नामा दाख़िल करने के लिए केंद्र सरकार से नाराज़गी जताई | चीफ़ जस्टिस एस ए बोबड़े, ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि “आप इस अदालत के साथ इस तरह से व्यवहार नहीं कर सकते | जूनियर अधिकारी ने जो हलफ़नामा दायर किया है, वो गोलमोल है | हलफ़नामे में कुछ टीवी चैनलों पर याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाये गए आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, जो नफ़रत फैला रहे हैं |
अदालत ने इल्ज़ाम लगाया कि मीडिया का एक तबक़ा कोविड-19 महामारी की शुरुआत में तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक नफ़रत फैला रहा था | नया हलफ़नामा दायर करने का निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विभाग के सचिव नया हलफ़नामा लिखें, जिसमें कोई अनावश्यक बातें नहीं होनी चाहिए |
सुनवाई के दौरान जमात की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने केबल टीवी नेटवर्क एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि ‘ख़राब और ग़लत रिपोर्टिंग के लिए कार्रवाई की जा सकती है | सरकार पहले भी ऐसा कर चुकी है |
याचिका में कहा गया है कि मीडिया ग़ैर-ज़िम्मेदारी से काम कर रहा है | मीडिया ऐसा दिखा रहा है जैसे मुसलमान कोरोना फैलाने की मुहिम चला रहे हैं, अदालत इस पर रोक लगाये और मीडिया-सोशल मीडिया में झूठी ख़बर फैलाने वालों पर कार्रवाई का आदेश दे |
तुषार मेहता ने विश्वास दिलाया कि जल्द ही कोर्ट में नया हलफ़नामा दायर किया जायेगा | सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दो सप्ताह बाद मामले की फिर सुनवाई होगी | पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था कि लोगों को क़ानून और व्यवस्था के मुद्दों को भड़काने ना दें | ये ऐसी चीज़ें हैं जो बाद में क़ानून और व्यवस्था का मुद्दा बन जाती हैं |