आज़ाद भारत के इतिहास मे ये पहली बार हुआ है जब तीस रोज़े रखने के बाद रोज़ादारो को ईद के त्योहार जैसा तोहफा तो चाॅद देखने के बाद मिल गया लेकिन ईद के दिन न तो एक दूसरे ने किसी से हाथ मिला और न ही किसी ने किसी को गले लगाया न कोई किसी के घर गया न किसी को अपने घर बुलाया न किसी ईदगाह मे आम नमाज़ियो ने ईद की नमाज़ अदा की और न ही किसी मस्जिद मे ईद की नमाज़ अदा की गई न ही बाज़ार सजे न ईदगाह के बाहर मेला ही लगा । आज़ाद भारत की ये पहली ईद थी जब लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह जैसी इबादत गांह जहां एक लाख से भी ज़्यादा नमाज़ी ईद की नमाज़ अदा करते थे वहंा सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए सिर्फ पाॅच लोगो ने ही ईद की नमाज़ अदा की । ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के पीछे सिर्फ पाॅच नमाज़ी थे और इन पाॅच नमाज़ियो के बीच भी सोशल डिस्टेसिंग थी । मौलाना ने नमाज़ के बाद खुतबा भी पढ़ा और नमाज़ के अन्त मे अल्लाह की बारगाह मे हाथ उठा कर कोरोना वायरस जैसी बीमारी के खात्मे के लिए दुआ भी मांगी यहा पाॅच लोगो ने नमाज़ तो अदा की लेकिन नमाज़ के बाद कोई किसी के गले नही मिला और न ही किसी ने किसी से हाथ मिला कर ईद की बधाई ही दी। ये पहली ही ईद होगी जब ईद की नमाज़ लोगो ने अपने घरो मे पुराने कपड़ो मे अदा की न बच्चो ने नए कपड़े खरीदे न चूड़ी चप्पल खरीदे गए। ईदगाह सूनी रही मस्जिदे भी नमाज़ियो के इन्तिज़ार मे रही। आज़ाद भारत के इतिहास मे ये भी पहली बार हुआ है जब ईद से पहले ईद की आमद की खुशी कई गुना कम देखी गई । मोहल्ले के बच्चो ने इस बार न तो रंगीन झंडियो से गली सजाई न ही किसी मोहल्ले मे बच्चो के लिए झूले वाला झूले लेकर आया न ही आईसक्रीम की गसडियो के पीछे बच्चे दौड़े और न ही सीनेमा हाल मे फिल्म देखने वालो की कतारे देखी गई । लखनऊ मे सुन्नी समुदाय द्वारा ईद की सबसे बड़ी नमाज़ ऐशबाग ईदगाह मे अदा की जाती है शिया समुदाय की सबसे बड़ी नमाज़ बड़ा इमाम बाड़ा स्थित आसिफी मस्जिद मे अदा की जाती थी लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार न तो ईदगाह ही नमाज़ियो से गुलज़ार हुई और न ही असिफी मस्जिद मे नमाज़ी पहुॅचे।
भले ही ईद की नमाज़ पढ़ने के लिए आम नमाज़ी ईदगाह न पहुॅचे हो और आम नमाज़ियो को इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ईद की बधाई न दे पाए हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस्लामिक सेन्टर आफ इन्डिया पहुॅच कर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली को ज़रूर ईद की बधाई दी। ईद का दूसरा दिन बच्चो के घूमने फिरने का दिन रहता था ईद के दूसरे दिन शहर का कोई पार्क ऐसा नही होता था जहंा पैर रखने की जगह मिल जाए लेकिन इस बार ईद के दूसरे दिन न तो जनेश्वर मिश्र पार्क ही गुज़ार रही न ही चिड़िया घर बुद्धा पार्क हाथी पार्क नीबू पार्क की रौनक ही बढ़ी । लाक डाउन में ये सब पार्क आम लोगो के लिए लाक है। देखा जाता था कि ईद के दूसरे दिन शहर की इन पार्को के अन्दर पैर रखने की जगह नहीं बचती थी पार्को के बाहर गुब्बारे और बच्चो के खिलौने बेचने वाली छोटी छोटी दुकाने सजी रहती थी लेकिन कुछ नही हुआ इस बार ईद का त्योहार लोगो ने अपने अपने घरो मे पूरी सादगी के साथ मनाया और बच्चे भी इस ईद की खुशियो से महरूम रहे ।