आज़ाद भारत के इतिहास मे ये पहला मौका देखने को मिला है जब ईद की चाॅद रात है और देश की बाज़ारो मे सन्नाटा पसरा हुआ है ये भी आज़ाद भारत मे पहली बार ही देखने को मिला है कि रमज़ान के पूरे महीने मे मस्जिदो मे ताले पड़े रहे और आम नमाज़ियो ने रमज़ान के मुबारक महीने मे एक भी नमाज़ मस्जिदो मे बा जमात अदा नही की । ये भी इतिहास मे शायद पहली बार ही देखने को मिला होगा कि रमज़ान का पूरा महीना गुज़र गया और कही किसी ने एक भी रोज़ा अफतार पार्टी का अयोजन नही किया। इससे पहले कभी ऐसा न तो देखा गया और न ही सुना गया होगा कि मुसलमानो के सबसे बड़े त्योहार ईदुल फित्र की नमाज़ न तो किसी ईदगाह मे अदा की गई हो और न ही किसी मस्जिद मे ये पहली बार है जब ईदगाह और मस्जिदो के बाहर ताले लगे हुए है । कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए पिछले 61 दिनो से पूरे देश मे लाक डाउन है लोगो के कारोबार बन्द है ऐसे मे गरीब तबके से ताल्लुक रखने वाले करोड़ो मुसलमानो के पास ईद मनाने के लिए पैसे का भी अभाव है ये भी पहली बार ही देखा गया है जब बच्चो ने अपने माता पिता से ईद के नए कपड़े खरीदने के लिए ज़िद नही की । अधिक्तर लोगो ने इस बार ईद मे न तो नए कपड़े ही खरीदे है और न ही ईद मे बनाए जाने वाले पकवानो की ही मुसलमानो ने तैयारी की है । क्यूंकि कोरोना वायरस की रोकथम के लिए सोशल डिस्टेंिसग महत्वपूर्ण है वायरस से बचाव के लिए इन्सानो को किसी भी इन्सान के करीब जाने से सरकार ने तो मना ही किया है साथ ही मुस्लिम धर्म गुरूओ ने भी ईद से कई दिन पहले अपील की थी कि इस बार ईद को सादगी के साथ मनाए न तो किसी से गले मिले न हाथ मिलाए न किसी के घर जाए न किसी को अपने घर बुलाए अब ऐसे हालात मे अगर ईद का त्योहार बिना किसी से गले मिले अकेले ही मनाना है तब ईद मे नए कपड़े या नए नए पकवानो का क्या फायदा।
