कोरोना वायरस के खतरें की रोकथाम के लिए लागू किए गए लाक डाउन के दौरान आज़ाद भारत के इतिहास मे ये पहला अलविदा जुमा था जब पूरे देश मे कही भी किसी भी मस्जिद मे मुसलमानो ने रमज़ान माह के आखिरी जुमे को अलविदा की नमाज़ पूरे बा जमात अदा नही की गई। रमज़ान के आखिरी जुमे को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मे अलविदा की नमाज़ को लेकर पुलिस पहले से ही मुस्तैद नज़र आई हालाकि मुस्लिम धर्म गुरूओ ने पहले ही ये एलान कर दिया था कि लाक डाउन के दौरान किसी भी मस्जिद मे कोई नमाज़ अदा नही की जाएगी लेकिन फिर भी प्रशासन ने एहतियात के तौर पर जुमे की नमाज़ से पहले पुराने लखनऊ मे रूट मार्च किया। लखनऊ के ज्वाईन्ट पुलिस कमिश्नर नवीन अरोड़ा डीसीपी पश्चिम सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी एडीसीपी विकास चन्द्र त्रिपाठी ने अलविदा की नमाज के समय से पहले ही टीले वाली मस्जिद पहुॅच कर हालात का जाएज़ा लिया । सड़क पर उतरे वरिष्ठ पुलिस अफसरों ने भारी सख्ंया मे पुलिस फोर्स के साथ पुराने लखनऊ के कई क्षेत्रो मे पैदल रूट मार्च भी किया। टीले वाली मस्जिद के पास पहुॅचे ज्वाईन्ट पुलिस कमिश्नर नवीन अरोड़ा ने कहा कि पूरे लखनऊ मे किसी भी मस्जिद मे लाक डाउन के चलते अलविदा की नमाज़ नही पढ़ी गई उन्होने मुस्लिम समाज का धन्यवाद भी अदा किया उन्होने बताया कि अलविदा की नमाज़ को मुसलमानो ने अपने अपने घरो मे ही अदा की है। लखनऊ मे अलविदा की सबसे बड़ी नमाज़ सुन्नी समुदाय द्वारा टीले वाली मस्जिद मे ही अदा की जाति है यहा अलविदा की नमाज मे शामिल होने के लिए दूर दूर से लोग आते थे यहंा हज़ारो का मजमा एकत्र होता था जिसकी वजह से भारी पुलिस फोर्स को तैनात किया जाता था और कई रास्तो को आम यातायात के लिए बन्द करना पड़ता था लेकिन इस बार लाक डाउन की वजह से नमाज़ी अपने घर मे ही रहे और पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था के लिए ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ी। इसी तरह से शिया समुदाय द्वारा अलविदा की सबसे बड़ी नमाज बड़े इमाम बाड़े के अन्दर स्थित आसिफी मस्जिद मे अदा की जाति थी लेकिन लाक डाउन की वजह से पिछले 59 दिनो से इमाम बाड़े के मुख्य द्वारा पर ताला लगा हुआ है इस लिए इस बार यहा भी अलविदा की नमाज़ नही अदा की गई। रमज़ान के आखिरी शुक्रवार को शिया समुदाय द्वारा बड़े इमाम बाड़े के बाहर फलस्तीनी मुसलमानो के लिए यौमे कुदस मनाया जाता है इस मौके पर शिया समुदाय के लोग मौलाना कल्बे जव्वाद के नेतृत्व मे प्रदर्शन करते थे लेकिन इस बाद यौमे कुदस भी नही मनाया जा सका। रमज़ान के आखिरी जुमे के मददे नज़र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र पुराने लखनऊ मे पुलिस की संख्या को बढ़ा दिया गया था लेकिन पुलिस को किसी भी तरह की अतिरिक्त मशक्कत नही करनी पड़ी क्यूकि मुसलमानो ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गए लाक डाउन का पालन करते हुए अलविदा की नमाज़ को मस्जिदो मे पढ़ने के बजाए अपने अपने घरो मे ही पढ़ी।
