देश के साथ साथ लखनऊ की जनता भी पिछले 58 दिनो से लाक डाउन का पालन कर रही है और शहर के बाज़ार पिछले 57 दिनो तक बन्द रहे लेकिन 58वें दिन से ज़िलाधिकारी ने शहर के कुछ बाज़ारो को छोड़ कर कई बाज़ारो को नियम के तहत खोले जाने के आदेश दिए थे। पुराने लखनऊ का सबसे महत्वपूर्ण अमीनाबाद , नज़ीराबाद नख्खास और चाौक इलाका लाक डाउन के 58वें दिन भी पूरी तरह से बन्द रहा। लखनऊ के लोगो को ये उम्मीद थी कि बाजार खुलेेगें तो उनका रोज़गार शुरू हो जाएगा लेकिन ज़िलाधिकारी ने कुछ बाज़ारो को न खोले जाने के आदेश दिए तो लोगो ने आज भी अपनी दुकाने नही खोली जबकि ईद के त्योहार मे अब मात्र 3 दिन ही शेष रह गए है और ईद की खरीदारी के लिए नख्खास, चैक , अमीनाबाद और नज़ीराबाद के बाज़ारो मे पैर रखने तक की जगह नही मिलती थी रमज़ान के आखरी महीने मे जिन बाज़ारो मे पैर रखने की जगह मुश्किल से मिलती थी वहंा उन बाज़ारो की हालत आज ऐसी है जहा दूर दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है। नख्खास अमीनाबाद मे पटरी पर लगने वाली हज़ारो दुकाने काली प्लास्कि मे लिपटी हुई है और दुकानो पर ताले लगे हुए है वैसे ईद की खरीदारी के लिए अगर इन दुकानो को खोले जाने की इजाज़त मिल भी जाति तब भी पहले की तरह की रौनक बाज़ारो मे आना इस लिए मुमकिन नही थी क्यूकि पिछले दो महीनो से लोगो के कारोबार पूरी तरह से बन्द है ऐसे हालात मे गरीब परिवारो से सम्बन्ध रखने वाले लोगो के पास पैसा नही है । पुराना लखनऊ वैसे भी घनी आबादी वाला बड़ा क्षेत्र है ऐसे मे अगर इस पूरे इलाके के बाज़ारो को खोल दिया जाता तो एक साथ बाज़ारो मे आने वाली लाखो लोगो की भीड़ से कारोरा का खतरा बढ़ सकता था ऐसे मे जब पूरे देश मे कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है तब एक साथ भीड़ वाले बाज़ारो को खोलने की इज़ाज़त मिलना भी नही चाहिए।
