इन्टरनेशन बीमारी कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 54 दिन पहले 25 मार्च को 21 दिनो के लिए लागू किए गए सम्पूर्ण लाक डाउन का समय पूरा होने से पहले 14 दिन और उसके बाद फिर 14 दिनो के लाक डाउन को बढ़ाया गया इस तरह से तीन चरणो के लाक डाउन के 54 दिन किसी तरह से लोगो ने बेरोज़गारी की हालत मे अपने अपने घरो मे रह कर बिताए । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोगो को ये आशा थी कि ईद के त्योहार से पहले कम से कम लखनऊ की 50 लाख की आबादी को राहत मिल जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नही हुआ। लाक डाउन के दौरान पूरे देश के मुसलमानो ने मस्जिदो मे न तो तरावीह की पमाज़ अदा की और न ही कोई अन्य नमाज अदा की इस बार न तो कही कोई रोज़ आफतार पार्टी का आयोजन किया गया और न ही मुख्य बाज़ार के शटर ही उठे लाक डाउन के दौरान सिर्फ मुस्लिम समाज ने ही नही बल्कि हिन्दू समाज के लोगो ने भी नवरात्र मे मंदिरो मे पूजा न करके अपने अपने घरो मे पूजा की । ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल पर न तो मंदिरो मे श्रद्धालु दर्शन ही कर पाए और न ही कही कोई भण्डारे लगाए गए इसी तरह से शिया समाज ने भी हज़रत अली की शहादत के मौके पर इतिहास मे पहले बार दो जुलूसो को देश और समाज हित मे स्थगित कर दिया। हालाकि लाक डान के 54 दिनो तक लखनऊ मे कही भी कोई धार्मिक गतिविधियां तो कतई नज़र नही आई लेकिन लाक डाउन के 40 दिन पूरे होने के बाद शहर की सड़को पर वाहनो की संख्या लगातार बढ़ती देखी गई । लाक डाउन के 54 दिन भी शहर लखनऊ की सड़के गुज़लार रही हालाकि शहर मे जगह जगह लगी बेरिकेटिंगो के पास मौजूद पुलिस कर्मी सड़क से गुज़रने वाले लोगो से पूछताछ भी करती देखी गई।
